जफरनामा के लेखक गुरू गोविंद सिंह जी थे। यह गुरू गोविंद सिंह का धार्मिक विजय पत्र था इसका प्रकाशन 1705 ई. में किया गया था। यह मूलत: काव्य एवं भाषा पंजाबी एवं पारसी थी।
हर्षचरित के रचनाकार बाणभट्ट थे। ये हर्षवर्धन के राजदरबार के कवि थे। सांतवी शताब्दी में ये संस्कृत गद्य के लेखक और कवि थे।
ब्रिटिश भारत के पहला वायसराय लार्ड कैनिंग था इसी के समय में गर्वनमेंट आफ इंडिया एक्ट 1858 पारित हुआ था। 1856—1862 तक यह गर्वनर जनरल था। 1857 की क्रांति कैंनिंग के समय ही हुई थी।
मुहर्रम और ताजिया मनाने पर सिकन्दर लोदी ने रोक लगा दी थी। यह बहलोल लोदी का पुत्र था एवं 1489 में बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला लोदी वंश का दूसरा शासक था। इसके बचपन का नाम निजाम खां था।
हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थान चन्द्रशेखर आजाद को आजाद उपनाम किसी और ने नहीं बल्कि उन्होंने स्वयं रखा था। इनका जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। इनकी शिक्षा काशी विद्यापीठ, वाराणसी से हुई थी। प्रयागराज के आजाद पार्क में इन्होंने अपने वादे के अनुसार खुद को गोली मार ली। इनका कहना था कि मुझे अंग्रेज जिंदा नहीं पकड़ सकते। ये कहा करते थे कि मै आजाद था, आजाद हूं और आजाद रहूंगा। ये भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्रांतिकारियों में से एक थे।
वन्दे मातरम् गीत को बंकिम चन्द्र चटर्जीने 1870 में लिखा था। जिसे कलकत्ता अधिवेशन 1896 ई. में रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा गाया गया। जबकि प्रकाशन 1882 में ही हो गया था। यह मूलत: बंगीला भाषा में लिखी गई थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उग्र विचारों वाले देशभक्त बाल गंगाधर तिलक केसरी पत्रिका में देश का दुर्भाग्य नाम से लेख लिखा था। जिसमें अंग्रेजों की नितियों का विरोध था। इन्हें लोकमान्य की उपाधी दी गई है। होमरूल आंदोलन को लोकमान्य तिलक और ऐनी बेसेंट ने चलाया था।
लिब्राहन आयोग का गठन 1992 में बाबरी मस्जिद के गिराए जाने से संबंध था इस कमिशन को तीन माह में अपनी रिपोर्ट देनी थी लेकिन इसका कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया था। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत जज एम.एस. लिब्राहन की अध्यक्षता में गठित हुआ था। 30 जून 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई थी। इस समय गृह मंत्रि पी. चिदम्बरम थे।
वी. एस. स्मिथ ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा था। समुद्रगुप्त गुप्त राजवंश के चौथे शासक थे। पाटलिपुत्र वर्तमान पटना इनके साम्राज्य की राजधानी थी। विश्व इतिहास के ये सफलतम शासक माने जाते है। इनके शासन काल को गुप्त काल का स्वर्णयुग कहा जाता है।
जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। ये भारत की पहली सरकार में कामर्स एवं इंडस्ट्री मंत्री थे। 1952 के लोकसभा चुनाव में ये दक्षिण—पूर्वी कलकत्ता से सांसद चुने गए थे। कश्मीर के मसले पर इन्होंने ही कहा था कि देश में दो विधान—दो प्रधान— दो निशान नही चलेंगे। इन्हें जम्मू—कश्मीर में पहला शहीद माना जाता है।