मेगास्थनीज काफी समय तक मौर्य वंश के राजाओं के दरबार में रहा था। मेगास्थनीज एक ग्रीक इतिहासकार एवं राजदूत था। इण्डिका पुस्तक की रचना मेगास्थनीज ने ही की थी। मौर्य वंश की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य के द्वारा की गई थी। इस वंश ने 321 से 185 ईसा पूर्व तक शासन किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री, गुरू एवं सलाहकार चाणक्य थे। मौर्य वंश की राजधानी पाटलिपुत्र थी। जिसे वर्तमान में पटना के नाम से जाना जाता है। जो बिहार की राजधानी है। मौर्य साम्राज्य 34 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था। भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान पर इस वंश का शासन था।
सिंधु घाटी के लोग पशुपति की उपासना करते थे। 3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक के काल में सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ। इस सभ्यता का विकास सिंधु और घघ्घर(सरस्वती) नदियों के किनारे हुआ। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। सिंधु घाटी सभ्यता को हडप्पा सभ्यता के नाम से भी जानते है। पशुपति को भगवान शंकर का ही रूप माना जाता था। पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडु, नेपाल में स्थित है।
छत्रपति शिवाजी के दरबार के मंत्रियों को अष्टप्रधान कहा जाता था। मराठा शासक वीर शिवाजी एक महान योद्धा थे। जिन्होंने मुगल सल्तनत को चुनौती थी। इनका पुरा नाम शिवाजी भोसले था। इनके पिता शाहा जी एवं माता जीजाबाई थी। शिवाजी के बाद इनके पुत्र संभाजी गद्दी पर बैठे थे। वर्ष 1674 ई. में वीर शिवाजी ने अष्टप्रधान की स्थापना की थी। अष्टप्रधान शिवाजी के मंत्रियों का एक मंत्रिमंडल होता था। जिसका कार्य वीर शिवाजी को सलाह प्रदान करना था। विजयनगर के शासक राजा कृष्णदेव राय के मंत्रियेां को अष्टदिग्गज कहा जाता था।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को प्रतिवर्ष शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिरला हाउस में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी जिसके बाद 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। महात्मा गांधी की समाधि को राजघाट कहा जाता है। भारत में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरू को फांसी दे दी गई थी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन के अध्यक्ष दादा भाई नैरोजी थे। यह अधिवेशन कलकत्ता में 27—30 दिसंबर 1886 को हुआ था। कांग्रेस का पहला अधिेवेशन 28—30 दिसंबर 1885 को बॉम्बे में हुआ था 1887 में मद्रास में हुए तीसरे कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष बदरूद्दीन तैयबजी थे जिन्हें कांग्रेस का पहला मुस्लिम अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष ब्योमेश चन्द्र बनर्जी थे। दादा भाई नैरोजी को ग्रांड ओल्ड मैन आफ इण्डिया कहा जाता है। इन्हें भारत का अधिकारिक एंबेसडर माना जाता था।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ट्रिनिटि कॉलेज का अध्यक्ष बनने वाला पहले एशियाई अमर्त्य सेन है। अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र में मानव विकास का सिद्धांत दिया था। वर्ष 1998 में इन्हें विश्व के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार इन्हें अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मिला था। ट्रिनिटी कॉलेज ग्रेट ब्रिटेन में स्थित है।
जवाहर रोजगार योजना 1 अप्रैल 1989 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में ग्रामिणों को प्रतिवर्ष 90—100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना था। 1 अप्रैल 1999 को इस योजना को जवाहर ग्राम समृद्धि योजना में बदल दिया गया पुन: 25 सितंबर 2001 को इसे संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में बदल दिया गया।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन के नाम से मशहूर अब्दुल कलाम को वर्ष 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। अब्दुल कलाम भारत के पहले गैर राजनीतिक राष्ट्रपति थे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह के समय में ये भारत के राष्ट्रपति रहें। अब्दुल कलाम को वर्ष 1981 मेें पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न, 1998 में वीर सावरकर पुरस्कार, 2000 ई. में रामनानुज अवार्ड इत्यादि पुरस्कार मिल चुका है। यह भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 2 जनवरी 1954 को भारत रत्न पुरस्कार की शुरूआत हुई थी। वर्ष 2019 तक 48 व्यक्तियों को भारत रत्न पुरस्कार दिया जा चुका है।
खाद एवं कृषि संगठन का मुख्यालय रोम में स्थित है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो कृषि उत्पादन, वानिकी और कृषि विपणन संबंधी विषयों पर शोध करता है। रोम इटली की राजधानी है। रोम का क्षेत्रफल 1285 वर्ग किलोमीटर है।
आजाद हिंद फौज के कर्मियों का लाल किले में चले मुकदमें में भूलाभाई देसाई ने बचाव किया था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों को चले मुकदमें में बचाया था। भुलाभाई देसाई ने आई.एन.ए डिफेंस नामक पुस्तक लिखी है। आजाद हिन्द फौज के सुभाष चन्द्र बोस ने जय हिन्द का नारा दिया था जो आज भी भारतीय सेना द्वारा प्रयोग किया जाता है। मोहन सिंह, गुरूबख्श सिंह ढिल्लन, शाहनवाज खान, प्रेम सहगल आजाद हिन्द फौज के मुख्य अधिकारी रहें।