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मौना लोआ ज्वालामुखी (Mauna Loa Volcano) : दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी

Mauna Loa Volcano

Mauna Loa Volcano : दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ में निकट भविष्य में विस्फोट हो सकता है।

मौना लोआ ज्वालामुखी (Mauna Loa Volcano) के प्रमुख तथ्य

  1. मौना लोआ उन पाँच ज्वालामुखियों में से एक है जो मिलकर हवाई द्वीप बनाते हैं।
  2. यह हवाई द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
  3. यह सबसे ऊंचा नहीं है (सबसे ऊँचा मौना की है) लेकिन सबसे बड़ा है और द्वीपीय भूमि का लगभग आधा हिस्से का निर्माण करता है।
  4. यह किलाऊआ ज्वालामुखी के ठीक उत्तर में स्थित है, वर्तमान में इसके क्रेटर में विस्फोट हो रहा है।
  5. किलाऊआ वर्ष 2018 के विस्फोट के लिये प्रसिद्ध है जिसने 700 घरों को नष्ट कर दिया और इसका लावा खेतों एवं समुद्र में फैल गया था।
  6. मौना लोआ में आखिरी बार 38 साल पहले विस्फोट हुआ था।

अन्य ज्वालामुखी, जिनमें हाल ही में विस्फोट हुआ

  1. सांगे ज्वालामुखी, इक्वाडोर
  2. ताल ज्वालामुखी, फिलीपींस
  3. माउंट सिनाबुंग, मेरापी ज्वालामुखी, सेमेरू ज्वालामुखी (इंडोनेशिया)

भारत में ज्वालामुखी

  1. बैरन द्वीप, अंडमान द्वीप समूह (भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी)
  2. नारकोंडम, अंडमान द्वीप समूह
  3. बारातंग, अंडमान द्वीप समूह
  4. डेक्कन ट्रैप्स, महाराष्ट्र
  5. धिनोधर हिल्स, गुजरात
  6. धोसी हिल, हरियाणा

दुनिया भर में फैले ज्वालामुखी

  • ज्वालामुखियों को दुनिया भर में ज़्यादातर प्लेट विवर्तनिकी के किनारों के साथ वितरित किया जाता है, हालांकि कुछ इंट्रा-प्लेट ज्वालामुखी भी हैं जो मेंटल हॉटस्पॉट्स (जैसे, हवाई) से बनते हैं।
  • आइसलैंड जैसे कुछ ज्वालामुखीय क्षेत्रों में हॉटस्पॉट और प्लेट सीमा दोनों होती हैं।

विश्व में ज्वालामुखी का विस्तार

परि-प्रशांत बेल्ट

  • पैसिफिक “रिंग ऑफ फायर” ज्वालामुखियों की एक शृंखला है और यह प्रशांत महासागर के किनारों के आसपास, पृथ्वी के अधिकांश सबडक्शन क्षेत्रों में उच्च भूकंपीय गतिविधि वाले क्षेत्रों में स्थित है।
  • पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में कुल 452 ज्वालामुखी हैं।
  • इसके अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी रूस के कामचटका प्रायद्वीप से लेकर जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया में न्यूज़ीलैंड के द्वीपों तक इसके पश्चिमी किनारे पर स्थित हैं।

मध्य महाद्वीपीय बेल्ट

  • यह ज्वालामुखी बेल्ट यूरोप, उत्तरी अमेरिका की अल्पाइन पर्वत शृंखला के साथ-साथ एशिया माइनर, काकेशिया, ईरान, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से हिमालय पर्वत शृंखला तक फैली हुई है जिसमें तिब्बत, पामीर, त्यानशान, अल्ताई और चीन म्याँमार तथा पूर्वी साइबेरिया के पहाड़ शामिल हैं।
  • इस बेल्ट के अंतर्गत आल्प्स पर्वत, भूमध्य सागर (स्ट्रोमबोली, वेसुवियस, एटना, आदि), एजियन सागर के ज्वालामुखी, माउंट अरारत (तुर्किये), एलबुर्ज, हिंदुकुश और हिमालय के ज्वालामुखी शामिल हैं।

मध्य अटलांटिक रिज

मध्य-अटलांटिक रिज उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी प्लेट को यूरेशियन एवं अफ्रीकी प्लेट से अलग करता है।
मैग्मा समुद्र तल की दरारों से निकलकर ऊपर की ओर उठता हैं तथा उपरी भागों पर बहने लगते हैं। जैसे ही मैग्मा पानी में मिलता है, यह ठंडा होकर जम जाता है तथा जिन प्लेटों से होकर गुज़रता है वे प्लेट कड़े होते जाते हैं और ये प्लेट आपस में जुड़ते जाते हैं।
अपसारी सीमा के साथ इस प्रक्रिया ने दुनिया के महासागरों के नीचे मध्य महासागरीय कटकों के रूप में सबसे लंबी स्थलाकृतिक संरचना निर्मित की है।

इंट्रा-प्लेट ज्वालामुखी

  • विश्व में ज्ञात ज्वालामुखी के 5% (जो प्लेट मार्जिन से निकटता से संबंधित नहीं हैं) इंट्रा-प्लेट, या “हॉट-स्पॉट” ज्वालामुखी के रुप में संदर्भित किये जाते हैं।
  • हॉट-स्पॉट एक गहन मेंटल प्लम के ऊर्ध्वाधर गमन से संबंधित होता है जिसका कारण पृथ्वी के मेंटल में अत्यधिक चिपचिपे पदार्थ का धीमी गति से प्रवाहित होना है।
  • इसे एकल महासागरीय ज्वालामुखी या हवाई-एम्परर सीमाउंट शृंखला (Hawaiian-Emperor seamount chains) जैसे ज्वालामुखियों की शृंखला द्वारा दर्शाया जा सकता है।

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