नालसा के अध्यक्ष उदय उमेश ललित ने राजस्थान में भारत की पहली AI-पावर्ड, एंड-टू-एंड डिजिटल लोक अदालत का शुभारंभ किया।
भारत में लंबित मामलों की संख्या वर्षों से बढ़ रही है। कोविड -19 महामारी प्रेरित लॉकडाउन ने लंबित मामलों को और बढ़ा दिया है। हाल ही में बिहार में जिला अदालत ने एक भूमि विवाद मामले में 108 साल बाद अपना फैसला सुनाया। यह भारत में सबसे पुराने लंबित मामलों में से एक था। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सभी मौजूदा लंबित मामलों को निपटाने में लगभग 324 साल लगेंगे। नीति आयोग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, 75% से 97% न्यायसंगत समस्याएं न्यायालयों तक नहीं पहुंचती हैं। इस प्रकार, 5 मिलियन से 40 मिलियन लोग हर महीने कभी कोर्ट नहीं पहुंचते हैं।
डिजिटल लोक अदालत उन लंबित विवादों या विवादों को निपटाने में मदद करेगी जो मुकदमेबाजी से पहले के चरण में हैं। प्रकरणों का निस्तारण राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जायेगा। यह प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड विवाद समाधान प्रक्रियाएं प्रदान करेगा जैसे- आसान प्रारूपण और आवेदन दाखिल करना, समझौता समझौते तैयार करने के लिए स्मार्ट टेम्प्लेट, सिंगल-क्लिक पर ई-नोटिस, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल के माध्यम से डिजिटल सुनवाई, आदि।