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farm law repeal
कानून को निरस्त (repeal) कैसे किया जाता है?
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Decision to repeal the law : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 22 नवंबर 2021 को एक बड़ी घोषणा की है। आंध्र प्रदेश सरकार ने तीन राजधानी के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाले कानून को निरस्त करने का निर्णय लिया है। आंध्र प्रदेश राज्य के महाधिवक्ता सुब्रह्मण्यम श्रीराम ने विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित किया है।

आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियों को लेकर चल रहा विवाद अब खत्म होने जा रहा है, क्योंकि अब राज्य की केवल एक ही राजधानी होगी और वो अमरावती होगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही राज्य मंत्रिमंडल ने तीन राजधानियों के विधेयक को वापस लेने और उच्च न्यायालय को निर्णय की सूचना देने का फैसला भी लिया है।

तीन राजधानियों के प्रस्ताव

आंध्र प्रदेश सरकार राज्य के लिए तीन राजधानियों के प्रस्ताव के मद्देनजर राजधानी शहर के लिए संशोधित आवश्यकताओं को लेकर केंद्र सरकार के साथ नए सिरे से बात करेगी। आपको बता दें कि रेड्डी सरकार ही तीन अलग-अलग राजधानियों का प्रस्ताव लेकर आई थी। इसमें अमरावती एक विधायी राजधानी, विशाखापत्तनम एक कार्यकारी और कुरनूल न्यायिक राजधानी होने का प्रावधान था।

विधेयक वापस लेने का फैसला

विजयवाड़ा में विधानसभा में हुई राज्य कैबिनेट ने किसानों और विपक्ष के 600 दिनों के विरोध के बाद अपने विवादास्पद कानूनों – आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास विधेयक व आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण निरसन (एपीसीआरडीए) को वापस लेने का फैसला किया है।

समावेशी विकास अधिनियम पारित

आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास (निरसन) अधिनियम को पिछली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार ने साल 2015 में अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने के अधिकार को समाप्त करने के लिए पारित किया था। विशाखापत्तनम, कुरनूल और अमरावती में कार्यकारी, न्यायिक और विधायी राजधानियों की स्थापना के लिए आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम पारित किया गया था।

पृष्ठभूमि

आपको बता दें कि रेड्डी सरकार ही तीन अलग-अलग राजधानियों का प्रस्ताव लेकर आई थी। इसमें अमरावती एक विधायी राजधानी, विशाखापत्तनम एक कार्यकारी और कुरनूल न्यायिक राजधानी होने का प्रावधान था। सरकार के इस विधेयक को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर साल 2018 से ही सुनवाई चल रही थी। केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि राज्य की राजधानी तय करने का मामला राज्य सरकार के अधीन है, इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।

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