GI tag : पारंपरिक डाई-पेंटेड आलंकारिक जिसे करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग (Karuppur Kalamkari Paintings) कहा जाता है, और कल्लाकुरुची लकड़ी की नक्काशी (Kallakuruchi Wood Carvings) को भौगोलिक संकेत (GI – Geographical Indication) टैग प्राप्त हुआ है।
करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग तंजावुर क्षेत्र में की जाती हैं। ये पारंपरिक डाई-पेंटेड आलंकारिक और पैटर्न वाले कपड़े हैं। वे छत के कपड़े, छाता कवर और रथ कवर इत्यादि होते हैं। कलमकारी की तंजावुर परंपरा में मोर, हंस, फूल और देवताओं की छवियों के रूपांकनों से युक्त छतरियां, छाता कवर, थोम्बई (बेलनाकार हैंगिंग), और ‘थोरानम’ (दरवाजे पर लटकने वाले) थे। इनका उपयोग मंदिरों और मठों में किया जाता है।
कुंभकोणम के पास सिक्कलनैकनपेट्टई के कारीगर कई पीढ़ियों से इस पारंपरिक कला का अभ्यास कर रहे हैं। प्राचीन काल में कारीगरों को शाही संरक्षण प्राप्त था। वर्तमान में, यह पारंपरिक कला रूप अरियालुर जिले के उदयरपलायम तालुक के करुप्पुर में और साथ ही तंजावुर जिले के सिक्कलनाइक्कापेट्टई और तिरुप्पनंदल के आसपास के गांवों में प्रचलित है।
ये नक्काशी डिजाइन और गहनों के लिए की जाती है। ये मदुरै क्षेत्र से सम्बंधित है।
GI एक टैग है जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले उत्पादों की पहचान करने के लिए किया जाता है और इसमें कुछ विशेष विशेषताएं होती हैं। यह टैग भारत में भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा शासित है। भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री, चेन्नई इन टैगों को जारी करती है। यह टैग 10 साल की अवधि के लिए वैध है।
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