Anshu Malik : अंशु मलिक ने विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। वे इस चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई। उन्होंने जूनियर यूरोपीय चैंपियन सोलोमिया विंक को हराकर यह उपलब्धि हासिल की।
अंशु मालिक ने 57 किलोग्राम वर्ग में सेमीफाइनल में जीत कर एक मैडल पक्का कर लिया है। वहीं, विश्व चैम्पियन को हराकर उलटफेर करने वाली सरिता मोर सेमीफाइनल में हार गईं और अब कांस्य पदक के लिए खेलेंगी। अंशु ने शुरू ही से सेमीफाइनल में दबदबा बनाए रखा और तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर जीत दर्ज करके 57 किलो वर्ग के फाइनल में पहुंच गईं।
Anshu MALIK 🇮🇳 made HERstory with her semifinal win and became the first Indian woman to reach a world gold-medal match. #WrestleOslo pic.twitter.com/ON3Vk09ZSq
— United World Wrestling (@wrestling) October 6, 2021
इससे पहले भारत की चार महिला पहलवानों ने विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है, लेकिन सभी को कांस्य पदक मिला है। गीता फोगाट ने साल 2012 में, बबीता फोगाट ने साल 2012 में, पूजा ढांडा ने साल 2018 और विनेश फोगाट ने साल 2019 में कांस्य पदक जीता था।
अंशु विश्व चैम्पियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय हैं। उनसे पहले सुशील कुमार (साल 2010) और बजरंग पूनिया (साल 2018) यह कमाल कर चुके हैं। इनमें से सुशील ही स्वर्ण जीत सके हैं।
अंशु मलिक ने इससे पहले एकतरफा मुकाबले में कजाखस्तान की निलुफर रेमोवा को तकनीकी दक्षता के आधार पर हराया और फिर क्वार्टर फाइनल में मंगोलिया की देवाचिमेग एर्खेमबायर को 5-1 से शिकस्त दी थी। वहीं, सरिता को बुल्गारिया की बिलयाना झिवकोवा ने 3-0 से हराया।
दिव्या काकरान ने 72 किग्रा में सेनिया बुराकोवा को चित्त किया लेकिन जापान की अंडर 23 विश्व चैंपियन मसाको फुरुइच के खिलाफ उन्हें तकनीकी दक्षता के आधार पर शिकस्त झेलनी पड़ी। इस बीच, किरन (76 किग्रा) ने तुर्की की आयसेगुल ओजबेगे के खिलाफ रेपचेज दौर का मुकाबला जीतकर कांस्य पदक के प्ले आफ में जगह बनाई लेकिन पूजा जाट (53 किग्रा) को रेपचेज मुकाबले में इक्वाडोर की एलिजाबेथ मेलेंड्रेस के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा।
अंशु मलिक का परिवार शुरू से ही रेसलिंग में रहा है। अंशु मलिक ने हरियाणा के जींद जिले में छोटी उम्र में ही पहलवानी करना शुरू कर दिया था। 12 साल की उम्र में अंशु मलिक ने अपने भाई शुभम के साथ कुश्ती शुरू की और पिता धर्मवीर मलिक ने उन्हें प्रशिक्षण दिया।
अंशु मलिक ने केवल चार साल के प्रशिक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय खेलों में डेव्यू किया और साल 2016 में एशियाई कैडेट चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतकर कुश्ती में अपना नाम तुरंत स्थापित कर लिया। इसके बाद विश्व कैडेट चैंपियनशिप में ब्रॉज मैडल जीता।
वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में अंशु मलिक के नाम तीन मेडल (एक गोल्ड, दो ब्रॉन्ज) हैं। इसके साथ ही एशियन जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में रजत पदक भी शामिल है।
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