Angela Merkel
Germany Election Results 2021 : जर्मनी में एंजेला मर्केल की पार्टी हारी, एसपीडी को मिली जीत
September 27, 2021
gay marriage in switzerland
स्विट्जरलैंड ने समलैंगिक विवाह (Gay marriage) को कानूनी मान्यता दी
September 27, 2021
Show all

जानिए, चीन की एवरग्रैंड (Evergrande) ने दुनियाभर में क्यों पैदा कर दी सिहरन?

Evergrande Debt Crisis

चीन की दूसरी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है एवरग्रैंड

चीन की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड (Evergrande) ने दुनियाभर के बाजारों में सिहरन पैदा कर दी है। बहुत बड़ा कर्ज कंपनी पर है। और अब वह इसकी किस्तें भी नहीं चुका पा रही। उसने बैंकों से लोन लिया है। बाजार में दूसरी इकाइयों से भी कर्ज उठाया है। सप्लायर्स का बकाया तो है ही उस पर। कुलमिलाकर करीब 300 अरब डॉलर का कर्ज है एवरग्रैंड पर। पूरी दुनिया में किसी एक कंपनी पर इतने ज्यादा कर्ज का मामला शायद ही कोई और हो।

एवरग्रैंड (Evergrande) चीन में दूसरी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी

शेयर बाजारों में इसके चलते डर का माहौल भले ही अब बना हो, लेकिन चाइनीज कंपनी के साथ दिक्कत लंबे समय से चल रही थी। एवरग्रैंड चीन में दूसरी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है। अमेरिका की मैगजीन फॉर्च्यून दुनिया की टॉप 500 कंपनियों की लिस्ट जारी करती है। आज भले ही एवरग्रैंड की शोहरत के पुर्जे उड़ रहे हों, लेकिन कभी वह भी फॉर्च्यून 500 लिस्ट में हुआ करती थी। 2000 के दशक में चीन में जब इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर जोर बढ़ा, तो उस दौर में एवरग्रैंड की चमक तेजी से बढ़ी।

एवरग्रैंड (Evergrande) संकट में क्यों?

अब दिक्कत इस वजह से उभरी है कि एवरग्रैंड कर्ज नहीं चुका पा रही है। चीन ने सरकारी बैंकों को एवरग्रैंड की इस हालत की जानकारी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि एवरग्रैंड कर्ज चुकाने की शर्तें नरम बनवाने के लिए बैंकों से बातचीत कर रही है। इससे पहले कंपनी के बयानों से पता चला कि वह किस्तें शायद समय पर न चुका सके। एक तो कंपनी को जो पैसा मिलना था, वह फंस गया और दूसरी ओर उधार लेने के विकल्प भी घट गए।

एवरग्रैंड (Evergrande) पर केवल ब्याज के रूप में 18 करोड़ युआन की रोज की देनदारी

एवरग्रैंड पर केवल ब्याज के रूप में 18 करोड़ युआन की रोज की देनदारी है। एक युआन करीब साढ़े 11 रुपये के बराबर है। इस तरह देखें तो कंपनी को औसतन 205 करोड़ रुपये के आसपास का इंटरेस्ट पेमेंट रोज करना है। कंपनी पर कुल कर्ज में 35 फीसदी हिस्सा ऐसा है, जिस पर ब्याज चुकाना है। एवरग्रैंड की अपनी सालाना रिपोर्ट कहती है कि उसके पास केवल 150 अरब युआन का कैश है। यानी अगर कंपनी और पैसे का इंतजाम नहीं कर पाई या कर्ज चुकाने की शर्तें नरम नहीं करा सकी तो इसका बोरिया बिस्तर बंधना तय है।

कंपनी इस हाल तक पहुंची कैसे?

चीन में दरअसल अधिकतर रियल्टी कंपनियां कुछ वक्त के लिए बड़ी रकम उधार लेती रही हैं। वे इसे आसानी से रीफाइनेंस कराती रहीं। इसके लिए वे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस सिस्टम में अपने लोगों को जरिया बनाती रहीं जिन्हें उन्होंने घूस खिला-खिलाकर पाला था। चीन में कुलमिलाकर बैड लोन यानी कर्ज फंस जाने का मसला धीरे-धीरे करके काफी बड़ा हो गया। पूरे बैंकिंग सेक्टर पर इसका असर पड़ने लगा। ऐसे में शी चिनफिंग की अगुवाई में चीन सरकार ने चूड़ी टाइट करने की ठानी। शॉर्ट टर्म यानी कुछ समय के लिए उठाए जाने वाले लोन की रीफाइनेंसिंग पर रोक लगाई। यह लिमिट भी तय कर दी कि रियल्टी कंपनियां कितना कर्ज उठा सकती हैं। इससे इन कंपनियों को झटका लगा। नए प्रोजेक्ट्स से आमदनी का इंतजाम करने में उन्हें दिक्कत होने लगी।

हुआरोंग डिफॉल्ट

शैडो बैंकिंग यानी मेन बैंकिंग सेगमेंट के अलावा काम करने वाली एनबीएफसी और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों पर सख्ती के चलते हाल ऐसा हुआ कि फाइनैंशल एसेट मैनेजमेंट कंपनी हुआरोंग डिफॉल्ट कर गई। कंपनी में मैजारिटी स्टेक चीन सरकार का था, लेकिन प्रशासन ने उसकी मदद के लिए कोई दखल नहीं दिया। यह कोई आम मामला नहीं था। चीन में पिछले 20 साल से भी ज्यादा समय में यह पहला बैंकिंग डिफॉल्ट था।

एवरग्रैंड (Evergrande) ने मुख्य कारोबर से हटकर हाथ-पांव पसारा

एवरग्रैंड का मैनेजमेंट का अपने मुख्य कारोबार से हटकर हाथ-पांव पसारना उसकी आदत में शामिल है। मसलन, कंपनी ने फुटबॉल बिजनेस में अरबों डॉलर निवेश किए। चीन सरकार ने फुटबॉल बिजनेस पर सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी है क्योंकि यह सेगमेंट चीन के नए दौलतमंदों के लिए शानोशौकत दिखाने का मैदान बनता जा रहा है। एवरग्रैंड ने इलेक्ट्रिक कार, स्ट्रीमिंग मीडिया, एम्यूजमेंट पार्क और हेल्थकयर जैसे कारोबारों में भी कदम रखे। इन कारोबारों में पैसा लगाने का मतलब कुछ वैसा ही था, जैसे जाड़ों में शरीर गर्म करने के लिए कोई कैश जलाने लगे।

साल 2018 से एवरग्रैंड की ऑपरेटिंग इनकम में 75 फीसदी की कमी

साल 2018 से एवरग्रैंड की ऑपरेटिंग इनकम में 75 फीसदी की कमी आ चुकी है। इसी दौरान इसका ग्रॉस मार्जिन 10 फीसदी से ज्यादा घट गया। अभी इसी महीने कंपनी ने कहा था कि सितंबर में कुलमिलाकर प्रॉपर्टी की बिक्री में गिरावट आती दिख रही है। यह गिरावट इस लिहाज से गंभीर है क्योंकि चीन में यह महीना रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा रहता आया है। दरअसल, कंपनी की हालत खराब देख अब शायद ही कोई उसकी प्रॉपर्टी खरीदना चाहेगा।

अब आगे क्या होगा?

हो सकता है कि एवरग्रैंड एक-एक कर अपने हर कर्ज पर डिफॉल्ट करती जाए। बिक्री घट रही है। जो इनवेंटरी है, उसके जरिए पैसा जुटाने की गुंजाइश नहीं दिख रही। बैंक तो अब शायद ही और कर्ज दे। ऐसे में कंपनी को कैश की तंगी होनी ही होनी है। ऐसे में एवरग्रैंड के माल-असबाब की बिक्री करनी पड़ेगी। सरकारी बैंकों के लिए राहत की बात यह होगी कि इस बिक्री से हासिल रकम पर पहला हक उनका होगा। बाकियों को बचे-खुचे से संतोष करना होगा। एक बड़ा मसला यह भी है कि इसका चीन के क्रेडिट मार्केट पर कैसा असर पड़ेगा। चीन दुनिया की दूसरी बड़ी इकॉनमी है। कमोडिटीज और दूसरी सर्विसेज का वह सबसे बड़ा कंज्यूमर भी है। अगर एवरग्रैंड निपट गई, तो उसके साथ उसके लाखों सप्लायर भी डूबेंगे, जिन्होंने उसे माल दिया था और जिनका उस पर अरबों का बकाया है। इसके अलावा यह भी हो सकता है कि इतनी बड़ी चपत के बाद बैंक किसी को बड़ा कर्ज देने की हालत में न रह जाएं। यानी कुछ-कुछ वैसा ही असर दिख सकता है, जैसा लीमैन ब्रदर्स के ढहने पर अमेरिका में दिखा था या फिर IL&FS का दिवाला पिटने पर भारत के मनी मार्केट्स में दिखा।

यह भी पढ़ें

चीन में सभी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) लेनदेन अवैध घोषित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *