हाल ही में ‘नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी’ (US) ने उड़ान क्षमता योग्य एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप (Microchip) या माइक्रोफ्लियर का निर्माण किया है, जो अब तक की सबसे छोटी मानव निर्मित उड़ान संरचना है।
ये हैं खास बातें
- यह एक रेत के दाने के आकार का है और इसमें कोई मोटर या इंजन नहीं है।
- यह मेपल के पेड़ के प्रोपेलर बीज की तरह हवा के माध्यम से उड़ान भरता है और हवा के ही माध्यम से एक हेलीकॉप्टर की तरह घूमता है।
बीजों का अध्ययन कर बनाया माइक्रोचिप का डिजाइन
- इंजीनियरों ने मेपल के पेड़ों और अन्य प्रकार के हवा में बिखरे हुए बीजों का अध्ययन करके इसका डिज़ाइन विकसित किया है। इसे इस प्रकार तैयार किया है कि जब यह ऊंचाई से गिराया जाए तो नियंत्रित तरीके से धीमी गति से गिरेगा।
- यह गुण इसकी उड़ान को अधिक स्थिर बनाता है और इसे एक व्यापक क्षेत्र कवर करने में मदद करता है, जिससे यह अधिक समय तक हवा में रह सकता है।
- वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग प्रकार के माइक्रोफ्लियर डिज़ाइन किये हैं, जिनमें तीन पंखों वाला एक माइक्रोफ्लियर भी शामिल है, जो कि ट्रिस्टेलेटिया बीज पर पंखों जैसा दिखता है।
माइक्रोचिप या माइक्रोफ्लियर का महत्त्व क्या है
- इसमें सेंसर, पावर स्रोत, वायरलेस संचार के लिए एंटेना और डेटा स्टोर करने के लिए एम्बेडेड मेमोरी सहित अल्ट्रा-मिनिएचराइज़्ड तकनीक शामिल की जा सकती है।
- ‘मिनिएचराइज़ेशन’ का आशय छोटे यांत्रिक, ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उपकरणों के निर्माण की प्रक्रिया से है।
यह वायु प्रदूषण और वायुजनित रोगों की निगरानी के लिए महत्त्वपूर्ण है।
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