गोवा सरकार की फेनी नीति 2021 ने भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणित काजू से निर्मित गोवा की फेनी (GI Tagged Feni) को अन्य अंतर्राष्ट्रीय शराब जैसे- मेक्सिको की टकीला (Tequila), जापानी शेक (Sake) और रूस की वोदका (Vodka) के बराबर लाने का मार्ग प्रशस्त किया है। वर्ष 2016 में गोवा सरकार ने फेनी को गोवा की हेरिटेज स्प्रिट (Heritage Spirit of Goa) के रूप में वर्गीकृत किया।
गोवा काजू फेनी
- यह ‘हेरिटेज ड्रिंक’ (Heritage Drink) का दर्जा प्राप्त करने वाला देश का पहला शराब उत्पाद है जिसे वर्ष 2000 में जीआई प्रमाणन प्राप्त हुआ। केवल काजू फेनी को जीआई-टैग प्रदान किया गया है।
- फेनी, नारियल या काजू के फलों से बना एक काढ़ा है और गोवा के लोकाचार एवं पहचान का पर्याय है।
- पुर्तगालियों द्वारा ब्राज़ील से भारत में काजू के पौधों को आयात करने के बाद फेनी का निर्माण पहली बार 1600 के दशक में गोवा में किया गया था। वर्तमान में गोवा में फेनी की 26 किस्मों का निर्माण होता है।
- इसका उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं, व्यंजनों में किया जाता है तथा यह अपने औषधीय महत्त्व के लिए भी जानी जाती है।
गोवा के अन्य जीआई-टैग प्राप्त उत्पाद के बारे में जानिए
खोला लाल मिर्च/कैनाकोना मिर्च (Khola Red Chilies/Canacona Chillies), मसालेदार हरमल मिर्च (Spicy Harmal Chillies), मंडोली या मोइरा केला (Myndoli Banana or Moira Banana) और पारंपरिक गोअन खाजे (Goan Khaje) मिठाई।
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) प्रमाणन क्या है
- भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
- इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
- इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
- इसका उपयोग कृषि, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं के लिए किया जाता है।
- माल के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में माल से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण और उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के तहत व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी एक हिस्सा है।
- पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक जो कि भौगोलिक संकेतकों का रजिस्ट्रार (Registrar) है।
- भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री/लेखागार चेन्नई में स्थित है।
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध होता है।
- इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
- वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
इन्हें भी मिल चुका है जीआई टैग
- वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
- महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।
- जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं।
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