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ऑकस (AUKUS) क्या है और क्यों पड़ी इसे बनाने की जरूरत?

AUKUS

ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका का एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है AUKUS

What is AUKUS : चीन की घेराबंदी के लिए ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने बीते दिनों एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते का एलान किया था। इसे ‘ऑकस’ AUKUS नाम दिया गया है। जिसे चीन का मुकाबला करने के एक स्पष्ट प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया को ऑकस करार के रुप में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां मिलेंगी, जिसे चीन का मुकाबला करने का प्रयास माना जा रहा है।

AUKUS का गठन बाइडन प्रशासन की पहल

AUKUS के गठन के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन की पहल मानी जा रही है जो अब हर हाल में चीन को काउंटर करने की योजना पर जोर लगा रहा है। तीनों देशों के नेताओं ने इस गठबंधन का अनावरण किया और जोर देकर कहा कि उनकी पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से संचालित होंगी, और परमाणु हथियार नहीं ले जाएंगी।

चीन ने की नए गठबंधन की निंदा

AUKUS के नेताओं ने भी अपने बयान में चीन का नाम खुलकर नहीं लिया। लेकिन चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने नए गठबंधन की निंदा करते हुए इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए “बेहद गैर-जिम्मेदार” खतरा बताया। झाओ ने एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “तीनों देश क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं, हथियारों की होड़ तेज कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार प्रयासों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।”

चीन को रोकने के लिए अमेरिका कुछ भी करने को तैयार

इस समूह का गठन चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका की एक और बड़ी कोशिश मानी जा रही है। अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार है क्योंकि बीजिंग और वाशिंगटन के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। इधर ऑस्ट्रेलिया के भी कोरोनो महामारी और व्यापार को लेकर चीन के साथ संबंध तेजी से बिगड़े हैं।

संसद की विदेश मामलों की समिति की अध्यक्षता करने वाले ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद टॉम तुगेंदत ने ट्विटर पर इस संगठन की उत्पति के बारे में बताते हुए लिखा- साफ तौर पर इसकी वजह चीन है। वर्षों से धमकाने और व्यापार शत्रुता के बाद, और अब फिलीपींस जैसे क्षेत्रीय पड़ोसियों के जल क्षेत्र में अतिक्रमण को देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया के पास कोई विकल्प नहीं था और न ही अमेरिका या ब्रिटेन के पास।

दक्षिण चीन सागर पर कृत्रिम टापूओं का निर्माण

हाल के वर्षों में चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम टापुओं का निर्माण किया है कि उसे सैन्य चौकियों में बदला गया है। इन अस्थायी टापूओं पर उसने अपने तट रक्षकों और समुद्री सैनिकों को तैनात किया है। जनवरी में इसने एक कानून पारित किया जिसमें तट रक्षक को विदेशी जहाजों पर गोली चलाने की अनुमति दी गई।

फ्रीडम ऑफ नेविगेशन

चीन के जवाब में अमेरिका दक्षिण चीन सागर और ताइवान के पास नियमित रूप से ‘फ्रीडम ऑफ नेविगेशन’ अभियान का संचालन कर रहा है, जबकि ब्रिटेन की नेवी ने भी इस क्षेत्र में गतिविधियां तेज कर दी हैं। विमानवाहक पोत, एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ इस क्षेत्र में है और पिछले महीने जापान के रक्षा बल के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में ड्रिल किया था।

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