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Swami Vivekanand

11 सितंबर 1893 को शिकागो में स्वामी विवेकानंद में दिया था प्रतिष्ठित भाषण

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद द्वारा 11 सितंबर 1893 को शिकागो में दिये गए प्रतिष्ठित भाषण को याद करते हुए कहा कि इसमें पृथ्वी को अधिक न्यायपूर्ण, समृद्ध एवं समावेशी बनाने की क्षमता है। स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) को भारत के सबसे बेहतरीन आध्यात्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों में से एक माना जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • जन्म : स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था।
  • प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
  • वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने ‘विवेकानंद’ की उपाधि धारण की।

योगदान

  • उन्होंने दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
  • उन्होंने ‘नव-वेदांत’ (पश्चिमी दृष्टिकोण के माध्यम से हिंदू धर्म की व्याख्या) का प्रचार किया और भौतिक प्रगति के साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास किया।
  • विवेकानंद ने मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया। साथ ही उन्होंने मानव हेतु चरित्र-निर्माण की शिक्षा की वकालत की।
  • उन्हें वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिये गए उनके भाषण के लिये जाना जाता है।
  • उन्होंने अपनी पुस्तकों (राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग) में सांसारिक सुख एवं मोह से मोक्ष प्राप्त करने के चार मार्गों का वर्णन किया है।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को “आधुनिक भारत का निर्माता” कहा था।

संबंधित संगठन

  • वह 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे और उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
  • रामकृष्ण मिशन एक ऐसा संगठन है जो मूल्य आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, युवा एवं आदिवासी कल्याण और राहत तथा पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है।
  • वर्ष 1899 में उन्होंने ‘बेलूर मठ’ की स्थापना की, जो उनका स्थायी निवास बन गया।
  • मृत्यु: वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हो गई। पश्चिम बंगाल में स्थित बेलूर मठ, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है।

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