भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED) विदेश मंत्रालय के सहयोग से विश्व भर में स्थित 100 भारतीय मिशनों/दूतावासों में आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर (Atmanirbhar Corner in Indian Missions) स्थापित करने की योजना बना रहा है।
ये हैं खास बातें
स्वतंत्रता दिवस पर थाईलैंड के बैंकॉक में भारतीय दूतावास में पहले आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर का उद्घाटन किया गया। ट्राइफेड एक राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। यह वन धन कार्यक्रम, एमएफपी के लिए एमएसपी और ट्राइफूड जैसी योजनाओं में शामिल है।
आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर
प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के अलावा GI टैग (भौगोलिक संकेत) प्राप्त करने वाले आदिवासी कला और शिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर कॉर्नर का एक विशेष स्थान होगा।
भौगोलिक संकेत
- भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
- जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
- वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
- वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
- भारत के लिए भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री चेन्नई में स्थित है।
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।
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