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केंद्र सरकार ने ड्रोन उड़ाने को लेकर उदार और आसान नियम बनाए हैं। नॉन कमर्शियल यूज वाले नैनो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन के लिए पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। 250 ग्राम या कम वजन के ड्रोन नैनो होते हैं और 2 किलो तक के माइक्रो की गिनती में आते हैं।

ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन प्रॉसेस हुआ आसान

सभी ड्रोन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर होगा। ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन का प्रॉसेस आसान कर दिया गया है। पहले ड्रोन के लिए कई तरह के अप्रूवल लेने पड़ते थे, वे अब जरूरी नहीं होंगे। जैसे कि- यूनीक ऑथराइजेशन नंबर, मेंटेनेंस सर्टिफिकेट, ऑपरेटर परमिट, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, उसके कंपोनेंट के इंपोर्ट की इजाजत।

लाइसेंस फीस 3000 रुपए के बजाय 100 रुपए

रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेने के लिए सिक्योरिटी क्लियरेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। रिमोट पायलट लाइसेंस 10 साल तक वैलिड रहेगा और फीस 3000 रुपए के बजाय 100 रुपए होगी। जरूरी फॉर्म्स की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई है। 72 तरह की फीस अब सिर्फ 4 तक सिमट गई है। फीस मामूली होगी और वह ड्रोन के साइज से जुड़ी नहीं होगी।

ग्रीन, यलो, रेड जोन का इंटरैक्टिव एयरस्पेस मैप

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर ग्रीन, यलो और रेड जोन का इंटरैक्टिव एयरस्पेस मैप होगा। यलो जोन यानी एयरपोर्ट के करीब 12 किलोमीटर के दायरे के बाहर ड्रोन उड़ाया जा सकेगा। पहले यह दायरा 45 किलोमीटर था।

रूल्स टूटने पर अधिकतम जुर्माना एक लाख का

ग्रीन जोन और एयरपोर्ट से 8-12 किलोमीटर के दायरे में 200 फुट ऊपर तक ड्रोन उड़ाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं होगी। ड्रोन रूल्स टूटने पर अधिकतम जुर्माना एक लाख रुपए तक होगा, लेकिन दूसरे रूल्स अपनी जगह होंगे।

वेट लिमिट बढ़ाकर 500 किलो कर दी गई है

ड्रोन रूल्स में वेट लिमिट को 300 किलो से बढ़ाकर 500 किलो कर दिया गया है। इससे हैवी पेलोड उठाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सी भी इसके दायरे में आ जाएंगी। कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर बनाया जाएगा।

ट्रेनिंग और परीक्षा के लिए ऑथराइज्ड ड्रोन स्कूल

ड्रोन से जुड़ी ट्रेनिंग देने और परीक्षा लेने का काम ऑथराइज्ड ड्रोन स्कूल करेंगे। ट्रेनिंग किस तरह की होगी, यह DGCA बताएगा। वह ड्रोन स्कूल की निगरानी और पायलट लाइसेंस ऑनलाइन देने का काम करेगा।

इकोनॉमी और रोजगार में अहम योगदान होगा

सरकार का कहना है कि ड्रोन से कृषि, खनन, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विलांस, आपात सहायता, परिवहन, जियोस्पैटियल मैपिंग, रक्षा और कानून व्यवस्था- अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में बहुत फायदा मिल सकता है। ये खास तौर पर दूर दराज के इलाकों तक पहुंच, कई तरह के काम करने की क्षमता और इस्तेमाल में आसान होने की वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ और रोजगार पैदा करने में अहम योगदान दे सकते हैं।

2030 तक भारत ग्लोबल ड्रोन हब बन सकता है

सरकार ने कहा है कि इनोवेशन, IT, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पारंपरिक कौशल और घरेलू बाजार में भारी मांग के चलते 2030 तक भारत ग्लोबल ड्रोन हब बन सकता है। उसके मुताबिक, आज जिस ड्रोन रूल्स 2021 की अधिसूचना जारी की गई है, वह मार्च में जारी UAS रूल्स 2021 से उदार है। UAS रूल्स 2021 को शिक्षा जगत, स्टार्टअप, एंड यूजर्स ने ड्रोन के इस्तेमाल में रुकावट पैदा करने वाला करार दिया था।

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