भारत और रूस ने 20 अगस्त, 2021 को AK-103 राइफल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ये हैं खास बातें
आधुनिकीकरण योजना
आधुनिकीकरण योजना के तहत भारतीय सेना भारी संख्या में हल्की मशीनगनों, युद्ध कार्बाइनों और असॉल्ट राइफलों की खरीद कर रही है जो इसके पुराने और अप्रचलित हथियारों की जगह लेगी।
पृष्ठभूमि
यह सौदा भारतीय सेना द्वारा 2017 में लगभग 7 लाख राइफल, 44,600 कार्बाइन और 44,000 लाइट मशीन गन हासिल करने की प्रक्रिया शुरू करने के चार साल बाद आया है। भारत और रूस ने सितंबर 2020 में भारत में AK-47 203 राइफल बनाने के लिए एक बड़ा सौदा किया था। इस राइफल का निर्माण संयुक्त उद्यम इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के तहत किया जाएगा। एक राइफल की लागत लगभग 1,100 अमेरिकी डॉलर होगी, जिसमें विनिर्माण इकाई की स्थापना की लागत के साथ-साथ प्रौद्योगिकी-हस्तांतरण की लागत भी शामिल है।
AK-47 203
यह AK-47 राइफल का नवीनतम और सबसे उन्नत संस्करण है। यह 200 सीरीज AK-103 वैरिएंट का आधुनिकीकरण है। यह राइफल इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (INSAS) 5.56×45 मिमी असॉल्ट राइफल की जगह लेगी, जो 1996 से उपयोग में है।
इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL)
IRRPL उत्तर प्रदेश में अमेठी जिले के कोरवा गांव में राइफल बनाने वाली इकाई है। यह फैक्ट्री राइफल्स के AK-203 वैरिएंट का निर्माण करेगी। इस कारखाने का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में किया था। यह भारत के आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board) और रूस के कलाश्निकोव कंसर्न (Kalashnikov Concern) का संयुक्त उद्यम है। रोसोबोरोनेक्सपोर्ट (Rosoboronexport) की भी अल्पमत हिस्सेदारी है। Ordnance Factory Board की 50.5% बहुमत हिस्सेदारी है, कलाश्निकोव की 42% हिस्सेदारी है जबकि IRRPL में रोसोबोरोनएक्सपोर्ट की 7.5% हिस्सेदारी है।