भारत ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons – HFCs) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लिए किगाली समझौते के अनुसमर्थन को मंजूरी दे दी है।
भारत के लिए इसका क्या अर्थ है?
भारत को अब 2047 तक अपने HFC के उपयोग को 80% तक कम करने की आवश्यकता है। चीन और अमेरिका को 2045 और 2034 में इस लक्ष्य को हासिल करने का निर्णय लिया है।
ये हैं खास बातें
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन (Kigali Amendment to the Montreal Protocol)
यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे कम करने का प्रयास करता है। यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है जिसे अंतर्राष्ट्रीय कानून में अधिकारों और दायित्वों को बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
पृष्ठभूमि
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल मूल रूप से ओजोन परत को संरक्षित और पुनर्स्थापित करने के लिए बनाया गया था। यह प्रोटोकॉल भाग लेने वाले देशों के बीच ओजोन क्षयकारी गैसों को दूर करने के लिए एक समझौता था। HFC शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देती हैं। इस प्रकार, किगाली संशोधन ने HFC को उन रसायनों की सूची में जोड़ा जिन्हें देशों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना आवश्यक है।
किन देशों ने इस संशोधन की पुष्टि की है?
121 देशों और यूरोपीय संघ ने जुलाई 2021 तक किगाली संशोधन की पुष्टि की है। भारत सूची में नया प्रवेशकर्ता है। अमेरिका ने संशोधन की पुष्टि नहीं की है।