छत्तीसगढ़ का होलसेल प्राइस इंडेक्स बदल गया है। इसमें रोजमर्रा के उपयोग की 65 नई वस्तुओं को शामिल किया गया है। यह बदलाव देश में 1939 के बाद 8वीं बार होलसेल प्राइस इंडेक्स यानी डब्ल्यूपीआई का बेस ईयर बदलने की वजह से हो रहा है। अबकी बार बेस ईयर 2017-18 तय किया गया है। इसके लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के उपमहानिदेशक रोशनलाल साहू को छत्तीसगढ़ के लिए सांख्यिकी प्राधिकारी बनाया गया है। इस बार समय से पहले बदलाव की बड़ी वजह पिछले डेढ़-दो साल में देश में आर्थिक उतार-चढ़ाव है।
पिछले कुछ सालों में इन वस्तुओं का बढ़ा चलन
इसके पहले हर दस साल में होलसेल प्राइस इंडेक्स को अपडेट कर नई थोक कीमतें तय की जाती रही हैं। प्रदेश में इन 65 वस्तुओं को संशोधित सूचकांक में शामिल करने की वजह है कि पिछले कुछ सालों में राज्य में इन वस्तुओं का प्रचलन काफी बढ़ा है। इनमें ग्रीन टी, सोलर इलेक्ट्रिसिटी, सैनिटाइज़र, कॉर्न फ्लेक्स, ब्राउन राइस, मशरूम, तरबूज, विकेट कीपिंग के लिए क्रिकेट ग्लव्स, व्हिस्की, बांसुरी, इलेक्ट्रिक आयरन, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन प्लेटें, पाउडर, आयुर्वेदिक साबुन, यौगिक और एलोवेरा जैसे 65 आयटमों का प्रचलन बढ़ गया है। अब इन्हें होलसेल प्राइस इंडेक्स में शामिल किया गया है। अब हर महीने इनकी लोकल कीमतें इंडस्ट्रीज आफ मिनिस्ट्री को भेजी जाएंगी। फिर इनकी राष्ट्रीय स्तर पर औसत दरें तय होंगी। इससे लोगों को सही व तय कीमत पर ये आइटम मिलेंगे।
अब आगे क्या होगा
छत्तीसगढ़ में थोक मूल्य सूचकांक के लिए 131 मेनुफेक्चरर यूनिट की 318 प्रोडक्ट के कोटेशन के लिए सर्वे प्रारंभ किया जा रहा है। इसके पहले प्रदेश में 106 प्रोडक्ट को ही सूची में शामिल किया जाता रहा है। अब इसकी संख्या तीन गुना बढ़कर 318 कर दी गई है। अब इनके मेनुफेक्चरर वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार होल सेल रेट का कोटेशन देंगे।
लोकप्रियता, नियमितता व उपलब्धता चयन का आधार
किसी भी वस्तु को इंडेक्स में शामिल करने का आधार है उस वस्तु की लोकप्रियता, उपलब्धता और नियमितता। हर महीने की आठ तारीख को फैक्ट्री से मिले रेट के आधार पर 14 तारीख को राष्ट्रीय स्तर पर औसत दर तय कर दी जाती है।
दंडित करने का प्रावधान भी किया गया
यदि कोई उत्पादक तय तिथि तक होलसेल प्राइस इंडेक्स के लिए कोटेशन नहीं देता है तो नोटिस देने और जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।