चीन सीमा से सटी एलएसी की रखवाली करने वाली इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस यानि आईटीबीपी में पहली बार महिला अफसरों की भर्ती की गई है। पहले बैच में दो महिला अफसरों ने आईटीबीपी ज्वाइन की है। रविवार को मसूरी स्थित आईटीबीपी एकेडमी में इन दोनों महिला अफसरों को अस्टिटेंट कमांडेंट की रैंक प्रदान की गई।
अस्टिटेंट कमांडेंट दीक्षा के पिता कमलेश कुमार भी आईटीबीपी में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पीपिंग सेरेमनी के दौरान कमलेश कुमार अपनी बेटी को सैल्यूट करते नजर आए। बेटी ने भी पिता के सैल्यूट का पलट कर जवाब दिया।
प्रकृति और दीक्षा ने किया ज्वाइन
आईटीबीपी में अब तक महिलाओं की जवान के पद पर तो भर्ती तो होती रही थी, लेकिन ऑफिसर रैंक में कोई महिला नहीं थी। वर्ष 2016 में आईटीबीपी ने यूपीएससी (सीएपीएफ) की परीक्षा के माध्यम से भर्ती होने वाले अस्टिटेंट कमांडेंट पद के लिए महिलाओं को भी इजाजत दी थी। उसके तहत दो महिला-कैडेट्स ने आईटीबीपी को ज्वाइन किया था। करीब 52 हफ्तों के कॉम्बेट कोर्स (ट्रेनिंग) के बाद रविवार को दोनों महिला अस्टिटेंट कमांडेंट्स, प्रकृति और दीक्षा ने अपने बाकी 51 पुरूष साथियों के साथ आईटीबीपी को ज्वाइन किया। ये सभी महिला और पुरूष अधिकारी कंपनी कमांडर के तौर पर अपनी सेवाएं आईटीबीपी में शुरू करेंगे और चीन सीमा से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) की रखवाली करेंगे।
आईटीबीपी
गौरतलब है कि आईटीबीपी का गठन 1962 में चीन-युद्ध के दौरान हुआ था। आईटीबीपी के जवान पूर्वी लद्दाख के काराकोरम से लेकर उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश तक फैली 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। आईटीबीपी की चौकियां 14 हजार से लेकर 18 हजार फीट तक की उंचाई पर हैं।
पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पिछले 15 महीनों से चीन से चल रहे तनाव के दौरान आईटीबीपी के हिमवीरों ने बेहद बहादुरी से दुश्मन का सामना किया था। इसके अलावा आईटीबीपी की कुछ कंपनियां नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। पहाड़ों पर आने वाली प्राकृतिक-आपदाओं में भी आईटीबीपी के जवान ‘फर्स्ट-रेंसपोंडर’ का काम करते हैं।