16 जुलाई, 2021 को कानून मंत्रालय में न्याय विभाग द्वारा अधिसूचित एक आदेश के साथ, ‘Common High Court of UT of Jammu & Kashmir and UT of Ladakh’ का नाम बदलकर ‘जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय’ (High Court of Jammu & Kashmir and Ladakh) कर दिया गया है।
ये हैं मुख्य बातें
पृष्ठभूमि
यह परिवर्तन जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अधिनियमन के अनुरूप किया गया था। यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पुनर्गठित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019
इस अधिनियम में जम्मू और कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के प्रावधान शामिल हैं। यह अधिनियम 31 अक्टूबर, 2019 को अधिनियमित किया गया था। इसके लिए विधेयक 5 अगस्त, 2019 को गृह मंत्री, अमित शाह द्वारा पेश किया गया था। 6 अगस्त, 2019 को इसे लोकसभा द्वारा पारित किया गया और 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई। इससे पहले अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के दिए गये विशेष दर्जे को समाप्त किया गया था।
जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय
यह कोर्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए है। इसकी स्थापना 26 मार्च, 1928 को जम्मू और कश्मीर के महाराजा द्वारा जारी पेटेंट पत्र द्वारा की गई थी। इसमें न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 17 है, जिनमें से 13 स्थायी न्यायाधीश हैं और 4 अतिरिक्त न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति पंकज मिथल 4 जनवरी, 2021 से इस न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं।