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अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में याक पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Yak – NRCY) ने ऊंचाई वाले याक का बीमा करने के लिए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ भागीदारी की है।

चिंताएं

ऊंचाई वाले याक हिमालयी बेल्ट में जलवायु परिवर्तन की गर्मी को महसूस कर रहे हैं। पूरे भारत में याक पालन क्षेत्रों से जलवायु परिवर्तन और मौसम के मिजाज में अकथनीय परिवर्तन (inexplicable changes) की सूचना मिली है। नतीजतन, देश भर में याक की आबादी खतरनाक दर से घट रही है। 2019 में, उत्तरी सिक्किम में भारी बारिश के एक दौर में लगभग 500 याक की मौत हो गई थी। इससे मालिकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा था। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2012 और 2019 के बीच भारत में याक की संख्या में 24.7% की गिरावट आई है।

बीमा पॉलिसी कैसे मदद करेगी?

बीमा पॉलिसी याक मालिकों को मौसम की आपदाओं, पारगमन दुर्घटनाओं, बीमारियों, दंगों, सर्जिकल ऑपरेशन और हड़ताल से उत्पन्न जोखिमों से बचाएगी।इस प्रकार, यह नीति सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में याक पालन करने वाले समुदायों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी।
इस बीमा पॉलिसी के तहत, मालिकों को अपने याक को कान पर टैग लगाना होगा और अपने पशुओं का बीमा कराने के लिए उचित विवरण देना होगा।
दावा प्राप्त करने के लिए मालिकों को फॉर्म, पशु चिकित्सक से मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और ईयर टैग जमा करना होगा।
इस राशि का दावा करने के लिए 15 दिनों की प्रतीक्षा अवधि होगी।

भारत में याक की आबादी (Yak Population in India)

भारत में याक की कुल जनसंख्या 58,000 है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू व कश्मीर में 26,000 याक हैं, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में 24,000, सिक्किम में 5,000 और हिमाचल प्रदेश में 2,000 हैं। पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में करीब 1,000 याक हैं।

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