रबर बोर्ड ने असम राज्य में दुनिया के पहले जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) रबड़ का फील्ड ट्रायल शुरू कर दिया है।
ये हैं खास बातें
इसे भी जानिए
जीएम रबड़ दूसरी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल है जिसके लिए बीटी कपास (Bt. Cotton) के बाद फील्ड ट्रायल शुरू हो गया है। Genetic Engineering Appraisal Committee (GEAC) ने 2010 में कोट्टायम के चेचक्कल, थोम्बिकंडोम में जीएम रबड़ के फील्ड परीक्षण शुरू करने की अनुमति दी थी।
जीएम रबड़ का महत्व
जीएमर रबड़ प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों को झेलने की क्षमता रखता है। इससे भारत में रबर उत्पादन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। ट्रायल खत्म होने के बाद इससे किसानों को काफी फायदा होगा। यह फसल कम नमी या सूखे, कम और उच्च तापमान के साथ-साथ उच्च प्रकाश तीव्रता के लिए प्रतिरोधी है। यह रबड़ की परिपक्वता अवधि को भी कम कर देगा।
रबड़ के विकास के साथ समस्या
उत्तर पूर्व में सर्दियों के मौसम में नए रबड़ की वृद्धि धीमी हो जाती है क्योंकि मानसून के दौरान पौधों को पर्याप्त प्रकाश नहीं मिलता है। गर्मी के मौसम में पर्याप्त पानी की कमी भी पौधों को तनाव पैदा करती है। इस प्रकार, जीएम रबड़ इन मुद्दों को दूर कर सकता है और तेजी से विकास कर सकता है।