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G-7 : भारत इसका सदस्य नहीं, फिर क्यों लिया हिस्सा? जानें सबकुछ

जी-7 की अध्यक्ष यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि के रूप में इस सम्मेलन में आमंत्रित किया। कोरोना महामारी को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 12 और 13 जून को इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस वर्ष ‘बिल्ड बैक बेटर’ विषय पर चर्चा की जाएगी। जिसके अंतर्गत भविष्य में आने वाली महामारियों के खिलाफ लड़ने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना, कोरोनवायरस से लड़ना; मुक्त और निष्पक्ष व्यापार का समर्थन करके भविष्य की समृद्धि को बढ़ावा देना; जलवायु परिवर्तन से निपटना और ग्रह की जैव विविधता का संरक्षण करना आदि विषयों शामिल थे।

क्या है जी-7 संगठन? 1973 में क्यों हुई थी इसकी शुरुआत?

संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम (यूके), कनाडा, इटली, जर्मनी और जापान जैसे सात सबसे विकसित देशों का समूह है, ग्रुप ऑफ सेवेन (जी-7)। वर्ष 1973 में आए तेल संकट और वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति बैलेरी जिस्कॉर्ड डी एस्टेइंग ने इस संगठन की शुरुआत की थी। वहीं केवल छह देशों वाले इस संगठन की पहली बैठक 1975 में आयोजित की गई थी। मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र, कानून का शासन, सतत विकास, और समृद्धि जैसे मुद्दों पर काम करने वाले इस संगठन में 1976 में कनाडा को भी शामिल किया गया था। 49 सालों से प्रत्येक वर्ष जी-7 समिट का आयोजन किया जाता है।

किन देशों को किया जाता है शामिल

जी-7 में जो देश शामिल हैं, वे कई मामलों में दुनिया में शीर्ष स्थान पर कायम हैं। ऐसी कुछ चीजों के बारे में हम यहां बता रहे हैं –

  • जी7 देश दुनिया में सबसे बड़े निर्यातक हैं।
  • इन देशों के पास सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व है।
  • ये सभी सात देश दुनिया में सबसे बड़े स्तर पर परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) का उत्पादन करते हैं।
  • वर्ष 2018 तक जी7 में शामिल देशों की कुल संपत्ति 317 ट्रिलियन डॉलर (31,700,000 करोड़ डॉलर) थी। जो विश्व की कुल संपत्ति का 58 फीसदी हिस्सा है।
  • ग्लोबल जीडीपी में जी7 देशों का 46 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सा है।

भारत के लिए क्यों है खास

2020 में आयोजित किए गए जी7 सम्मेलन में अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया और रूस को इस संगठन में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने इस संगठन को जी7 से जी10 या जी11 करने का सुझाव भी दिया था। ट्रंप का मानना था कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का काफी योगदान है, ऐसे में उन्हें इस संगठन में शामिल करना चाहिए। वहीं भारत ने आने वाले सालों में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके लिए वह जी7 में शामिल होना चाहता है, ताकि भारतीय उद्योगों को यूरोपीय बाजार में रियायत मिल सके।

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