पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 17 मई, 2021 को कई विभागीय सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई कैबिनेट बैठक के दौरान राज्य में विधान परिषद की स्थापना को मंजूरी दी। यह कदम तृणमूल कांग्रेस के चुनावी वादों में से एक था।
हालांकि, राज्य में विधान परिषद की पुनर्स्थापना के लिए देश की संसद से अनुमोदन की आवश्यकता होगी। केंद्र के साथ मुख्यमंत्री की हालिया झड़पों को देखते हुए, पश्चिम बंगाल के लिए केंद्र की मंजूरी हासिल करना मुश्किल हो सकता है। संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत, देश के किसी भी राज्य में विधान परिषद की स्थापना के प्रस्ताव को संसद में एक निश्चित बहुमत से पारित करना होता है।
पश्चिम बंगाल की विधान परिषद को क्यों समाप्त कर दिया गया था?
पश्चिम बंगाल के उच्च सदन, विधान परिषद को 1969 में वाम दलों की गठबंधन सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया था क्योंकि इसे अभिजात्यवाद का प्रतीक माना जाता था। वर्ष, 1937 में पश्चिम बंगाल में पहली बार विधान परिषद अस्तित्व में आई थी।
पश्चिम बंगाल को विधान परिषद की आवश्यकता क्यों है?
लोकप्रिय राय के अनुसार, किसी भी राज्य की विधान परिषद विशिष्ट लोगों को उस राज्य की सरकार का हिस्सा बनने और किसी रचनात्मक उद्देश्य के लिए परामर्श करने की अनुमति देती है, जिन्हें एक अलग प्रक्रिया के माध्यम से चुना जा सकता है।
भारत के किन राज्यों में विधान परिषदें हैं?
वर्तमान में हमारे देश के छह राज्यों – महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और बिहार में विधान परिषदें हैं। देश में वर्ष, 1935 में स्वतंत्रता से पहले, द्विसदनीय विधायिकाओं की स्थापना की गई थी।
किसी विधान परिषद में कितने सदस्य होते हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 खंड (1) के तहत, किसी भी राज्य की विधान परिषद में सदस्यों की कुल संख्या, उस राज्य की विधान सभा में सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी और यह संख्या 40 सदस्यों से कम भी नहीं होगी।
राज्य विधान परिषद के सदस्य कैसे चुने जाते हैं?
• 1/3 सदस्य संबद्ध राज्य की विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
• 1/3 सदस्यों का चुनाव संबद्ध राज्य के स्थानीय प्राधिकरणों जैसे नगर पालिकाओं, जिला परिषदों, ब्लॉक परिषदों के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है।
• 1/12 सदस्यों का चुनाव शिक्षकों द्वारा किया जाता है।
• 1/12 सदस्य स्नातकों द्वारा चुने जाते हैं।
• शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। इन सदस्यों को कला, विज्ञान, साहित्य, समाज सेवा और सहकारी समितियों सहित विभिन्न क्षेत्रों से मनोनीत किया जाता है।