डिजिटल इंडिया को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने ग्रामीण स्वामित्व योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत पीएम मोदी ने एक नए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल की भी शुरुआत की है। इस पोर्टल पर ग्राम समाज से जुड़ी सभी समस्याओं की जानकारी रहेगी और इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन देख सकेंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भू मालिकों को स्वामित्व योजना के तहत सम्पति कार्ड वितरित करने की घोषणा की है। इस योजना के अंतर्गत देश के लगभग एक लाख प्रॉपटी धारको के मोबाइल फ़ोन पर एसएमएस के माध्यम से एक लिंक भेजा जायेगा। जिसके माध्यम से देश के प्रॉपटी धारक अपना प्रॉपटी कार्ड डाउनलोड कर सकते है। इसके बाद संबंधित राज्य सरकारें संपत्ति कार्ड का फिजिकल वितरण करेंगी। गांव के लोगों को इस योजना के माध्यम से अब बैंक से लोन मिलने में भी आसानी होगी।
इस योजना के माध्यम से लोगों की संपत्ति का डिजिटल ब्यौरा रखा जा सकेगा। राजस्व विभाग द्वारा गांव की जमीन की आबादी का रिकॉर्ड एकत्रित करना शुरू कर दिया गया है। इसी के साथ विवादित जमीनों के मामले के निपटारे के लिए डिजिटल अरेंजमेंट भी राजस्व विभाग द्वारा शुरू किया गया है।
इस योजना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 24 अप्रैल 2020 को देश के 9 राज्य जो कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान तथा आंध्र प्रदेश में शुरू किया गया था। 31 जनवरी 2021 तक 23,300 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है तथा 1432 गांव के 2.5 लाख लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड बांटे जा चुके हैं।
2021-22 के लिए पंचायती राज मंत्रालय को 913.43 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया हैं। यह बजट पिछले वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत ज्यादा है। इस बजट में से 593 करोड रुपए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए आवंटित किए गए हैं तथा योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इस योजना का बजट पिछले वर्ष 79.65 करोड़ रुपए था। जो कि अब बढ़कर 200 करोड़ हो गया है। पिछले वर्ष इस योजना के अंतर्गत 9 राज्यों को शामिल किया गया था तथा इस योजना के अंतर्गत इस वर्ष 16 राज्यों को शामिल किया गया है।
130 ड्रोन टीम भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा तैनात की गई। मार्च 2021 तक इस योजना के अंतर्गत 500 ड्रोन तैनात किए गए। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण किसानों की जमीनो की ऑनलाइन देखरेख मुहैया कराना जमीनों की मैपिंग और उनके सही मालिकों को उनका हक दिलाना जमीनी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना ग्रामीणों के हक में फैसला करना है।
इसमें जीपीएस ड्रोन की मदद से एरिया सर्वे किया जाता है। इस सर्वे के माध्यम से गांव में बने हर घर की जियो टैगिंग की जाती है और प्रत्येक घर का क्षेत्रफल दर्ज किया जाता है। यह छेत्रफल दर्ज करने के बाद प्रत्येक घर को एक यूनिक आईडी प्रदान की जाती है। जो उस घर का पता भी होता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से लाभार्थी का पूरा पता डिजिटल भी हो जाता है। पहले गांव के नागरिकों के पास लिखित दस्तावेज नहीं होते थे। पर अब सरकार द्वारा गांव के नागरिकों को लिखित दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे।
सर्वे की प्रक्रिया के दौरान ग्राम पंचायत के सदस्य, राजस्व विभाग के अधिकारी, गांव के जमीन मालिक तथा पुलिस की टीम मौजूद रहती है। जिससे कि लोगों की आपसी सहमति से उन्हें अपने दावे की जमीन प्रदान की जा सके। इसके पश्चात दवे वाली जमीन पर निशानदेही की जाती है। जमीन मालिक चूना लगाकर अपने क्षेत्र पर घेरा बना लेता है। इसकी तस्वीर ड्रोन से खींची जाती है। ड्रोन के द्वारा यह प्रक्रिया गांव के चक्कर लगाकर पूरी की जाती है। इसके पश्चात कंप्यूटर की सहायता से जमीन का नक्शा तैयार किया जाता है।
सरकार द्वारा जिस भी गांव का सर्वे कराया जाता है उस गांव के नागरिकों को पहले से सूचना दी जाती है। जिससे कि वह सभी लोग जो गांव से बाहर हैं वह सर्वे वाले दिन गांव में उपस्थित हो सके। सरकार द्वारा गांव का पूरा नक्शा तैयार किया जाता है। इसके पश्चात उन सभी नागरिकों को जिनके नाम पर जमीन है उनके नाम की जानकारी पूरे गांव को दी जाती है। वह सभी नागरिक जिन्हें अपनी आपत्ति दर्ज करानी होती है वह कम से कम 15 दिन तथा अधिक से अधिक 40 दिन के अंतर्गत अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकते है। वह सभी गांव जहां पर कोई भी आपत्ति नहीं आती है वह राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा जमीन के कागजात जमीन के मालिक को प्रदान कर दिए जाते हैं।
ये भी पढ़ें- ECI New Chief Sushil Chandra : सुशील चंद्रा होंगे अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त
ये भी पढ़ें- JUVENILE : किशोर न्याय अधिनियम 2015 के बारे में विस्तार से, केन्द्र सरकार का संशोधन