कोरोना महामारी का शिकार व्यक्ति अनजाने में होता है जबकि तंबाकू (Tobacco) की महामारी का शिकार व्यक्ति खुद/जानबुझकर होता है। धुम्रपान (Smoking) के सेवन को दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक माना जाता है। इससे हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इसमें 70 लाख सीधे तौर पर तंबाकू के सेवन से मरते हैं और करीब 12 लाख लोग सेकेंड-हैंड स्मोकिंग से दम तोड़ते हैं। स्मोकिंग की वजह से हर साल जान गंवाने वाले लोगों की संख्या कम करने के इरादे से न्यूजीलैंड (New Zealand) ने साल 2004 के बाद पैदा हुए लोगों के लिए धूम्रपान पर बैन लगाने की योजना बनाई है।
न्यूजीलैंड की सरकार 2025 तक स्मोक-फ्री जनरेशन चाहती है। सरकार ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उनमें स्मोकिंग की उम्र को बढ़ाया जाना, सिगरेट पर फिल्टर बैन, वयस्कों के लिए ही खुले स्टोर्स में सिगरेट की बिक्री और तंबाकू में निकोटीन की मात्रा कम किए जाने जैसे सुझाव शामिल हैं।
भारत में सिगरेट और दूसरे तंबाकू उत्पाद की बिक्री और उसके सेवन को लेकर 2003 में एक कानून बनाया गया था। इस कानून का नाम है सिगरेट एंड अदर टौबेको प्रोडक्ट एक्ट, जिसे COTPA भी कहते हैं। इस कानून के तहत ही सार्वजनिक स्थान पर स्मोकिंग, तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू उत्पाद बेचने, शैक्षणिक संस्थानों के चारों ओर 100 गज तक तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर प्रतिबंध जैसे नियम बनाए गए हैं।
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