हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता है। ऐसी स्थिति में हल्की सी चोट लगने पर भी ज्यादा खून बह जाता है। इस वजह से ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। वर्ल्ड हीमोफीलिया डे 17 अप्रैल का हर साल मनाया जाता है।
1989 में हीमोफीलिया बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिन के अवसर पर 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है।
हमें जब भी कहीं चोट लगती है तो घाव से खून बहना शुरू हो जाता है। इस बहते खून को रोकने के लिए हमारे शरीर का खुद का एक सिस्टम होता है। हमारा शरीर घाव के आसपास खून का थक्का जमा देता है जिस वजह से घाव से खून बहना बंद हो जाता है, लेकिन हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को घाव लगने की स्थिति में खून का थक्का नहीं जम पाता है जिस वजह से लगातार खून बहा करता है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है जो खून में थाम्ब्रोप्लास्टिन या क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की वजह से होती है।
हड्डियों के जोड़ों में दर्द रहता है। शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन आ जाती है। मल या पेशाब में खून आने लगता है। शरीर में नीले-नीले निशान पड़ जाते हैं। नाक एवं मसूड़ों से खून आना, आसानी से त्वचा का छिल जाना भी इसके लक्षण में शामिल है।
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