कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए लगाए जाने वाले इंजेक्शन रेमडेसिवरी की किल्लत के बीच कई राज्यों में इसकी कालाबाजारी हो रही है। मेडिकल प्रेक्टिशनर्स और इसे खरीदने वाले लोगों के मुताबिक 5,400 रुपए की कीमत वाले इंजेक्शन के लिए जरूरतमंदों को 30 से 40 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है।
अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, कई रिसर्च में यह कहा जा चुका है कि यह दवा वायरल बीमारी के इलाज में बहुत अधिक प्रभावी नहीं है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर दवा और प्लाजमा थैरेपी काफी कारगर साबित हो रही है। यदि कोई कोरोना से संक्रमित हो गया है तो उसका इलाज भी इससे किया जा सकता है।
रेमडेसिवीर का पेटेंट अमेरिका की कंपनी गिलिएड साइंसेस के पास है। उसने चार भारतीय कंपनियों से इस दवा को बनाने का एग्रीमेंट किया है। इन चार कंपनियां में सिप्ला, हेटेरो लैब्स, जुबलिएंट लाइफसाइंसेस और मिलान का नाम शामिल है। ये कंपनी बहुत बड़े पैमाने पर रेमडेसिवीर का प्रोडक्शन करती हैं और दुनिया के तकरीबन 126 देशों में इसे एक्सपोर्ट भी करती हैं।
रेमडेसिवीर (Remdesivir) ड्रग्स का इस्तेमाल पहले हेपेटाइटिस सी के इलाज में होता था। ये ड्रग उस वक्त ज्यादा सुर्खियों में आया जब 2014 में इबोला नाम का वायरस अफ्रीकी देशों में फैल गया। उस वक्त इलाज के लिए रेमडेसिवीर का इस्तेमाल किया गया क्योंकि ये एक सबसे ज्यादा असरदार एंटीवायरल दवा है।
अलग-अलग ब्रैंड के रेमडेसिवरी की कीमत अलग अलग है। हेटरो कंपनी के इंजेक्शन की कीमत 5,400 रुपए है तो मायलन और जुबिलेंट कंपनी के इंजेक्शन की कीमत 4,700 रुपए, रेड्डी के लिए 5,400, सिपला के लिए 4,000 और जायडस की कीमत 899 रुपए है।
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