वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट 2021 में 156 देशों की सूची में भारत 28 पायदान फिसलकर 140वें स्थान पर पहुंच गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला तीसरा देश बन गया है। वर्ष 2020 में 153 देशों की सूची में भारत 112वें नंबर पर था।
जेंडर रिपोर्ट 2021 कहती है, लैंगिक भेद के साथ ही आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में भी भारत पिछड़ा है। इस क्षेत्र में भी लैंगिक भेद अनुपात 3% से बढ़कर 32.6% हो गया है। राजनीतिक सशक्तिकरण सबइंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, जिसमें महिला मंत्रियों की संख्या में कमी आई है। महिला मंत्रियों की संख्या जो साल 2019 में 23.1% थी, वह अब केवल 9.1% रह गई है। महिला श्रम भागीदारी दर भी 24.8% से गिरकर 22.3% रह गई है
जेंडर रिपोर्ट 2021 के अनुसार प्रोफेशनल और टेक्निकल फील्ड में भी महिलाओं की भूमिका घटी है और यह 29.2% रह गई है। इस क्षेत्र में सीनियर और मैनेजमेंट लेवल से जुड़ी पोजिशन में भी महिलाओं की भागीदारी मात्र 14.6 % है और टॉप मैनेजर लेवल पर यह प्रतिशत केवल 8.9 है।
स्वास्थ्य और अस्तित्व के मामले में महिलाओं के साथ भेदभाव में भारत नीचे के पांच देशों में शामिल है। लिंग आधारित पारम्परिक सोच के कारण, जन्म के समय लिंगानुपात में भी बड़ा अंतर है। दूसरी ओर चार में से एक महिला को अन्तरंग हिंसा झेलनी पड़ी है। लैंगिक साक्षरता के मामले में 17.6% पुरुषों की तुलना में 1/3 महिलाएं (34.2%) निरक्षर हैं।
भारत का पडोसी देश बांग्लादेश इस रिपोर्ट में 65वें नंबर पर, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116 वें स्थान पर है।
स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के मध्य सापेक्ष अंतराल में हुई प्रगति का आकलन करने हेतु एक सीमा का निर्धारण करना। वार्षिक मानदंड के माध्यम से प्रत्येक देश के हितधारकों द्वारा विशिष्ट आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित किया जा सकता है।
विश्व आर्थिक मंच सार्वजनिक-निजी सहयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
इसकी स्थापना 1971 में गैर-लाभकारी संगठन के रूप में हुई। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में है। यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संगठन है।
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