समुद्र से मछली पकड़ने वालों को अब बेहतर कीमत मिल सकेगी। अब वे अपने समुद्री उत्पादों की बिक्री सीधे निर्यातक को कर सकेंगे। बीच से मिडलमैन के हट जाने से उनकी आमदनी तो बढ़ेगी ही, वे सशक्त भी होंगे। इसके लिए भारत सरकार ने एक ई कामर्स पोर्टल ई-संता (e-santa) शुरू किया है। इसकी शुरुआत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने की। ई-सांता (इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशन फॉर ऑग्मेंटिंग एनएसीएसए फार्मर्स ट्रेड इन एक्वाकल्चर) की शुरूआत करते हुए यह भी कहा कि इससे किसान तत्काल के साथ टेंडर बिक्री यानी वायदा बिक्री भी कर सकेंगे।
एनएसीएसए (नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की एक विस्तारित शाखा है। गोयल ने कहा कि यह वेबसाइट नए और डिजिटल समाधान के जरिये स्पष्ट रूप से हमारे किसानों को सशक्त बनाएगा। इससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने का अतिरिक्त विकल्प मिलेगा। अब हमारे किसान इस प्लेटफॉर्म के जरिये आसानी से अपने उत्पादन बेच सकते हैं।
यह प्लेटफॉर्म मछली और जल कृषकों को आजादी, विकल्प और अवसर उपलब्ध कराएगा। इससे विक्रेताओं खरीदार दोनों के लिए निष्पक्ष मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा। पीयूष गोयल के अनुसार ई-सांता सामूहिक रूप से उत्पादों को खरीदने वाले, मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादक संगठनों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन सकता है और इससे भारत एवं विश्व के लोग ये जान सकते हैं कि क्या उपलब्ध है। यह भविष्य में एक नीलामी मंच भी बन सकता है।
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण को पोर्टल खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए रेटिंग प्रणाली तैयार करनी चाहिए। इससे कोई भी रेटिंग देख सकेगा और उसके अनुसार निर्णय कर सकेगा। फिलहाल 18,000 किसान हैं, जो देश के समुद्री उत्पादों के निर्यात में योगदान दे रहे हैं। गोयल ने कहा ई-सांता (जिसक मतलब मंडी या बाजार) बाजार विभाजन को समाप्त करने के लिए एक डिजिटल ब्रिज है और यह बिचौलियों को खत्म करके किसानों एवं खरीदारों के बीच एक वैकल्पिक विपणन उपकरण के रूप में काम करेगा।
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