55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का 15 अप्रैल को स्थापना दिवस मनाया जाता है। यह पश्चिमी हिमाचल की गोद में बसा हुआ है। इसे देवभूमि के रूप में जाना जाता है और कहा जाता है कि इस पर देवी-देवताओं की कृपा है। पूरे प्रदेश में प्रस्तर और काष्ठ के मंदिर बने हुए हैं। यहां की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की वजह से यह प्रदेश अद्धितीय है।
हिमाचल प्रदेश लोकगाथाओं और सौंदर्य की भूमि है। पौराणिक आख्यानों में हिमाचल प्रदेश को यक्षों गंधर्वो और किन्नरों का प्रदेश बताया गया है। प्रागैतिहासिक काल में यहां कोल, किरात और नाग जातियों रहती थी। मध्यकाल में जब उत्तर-पश्चिम से आक्रमण हुए तो राजपूताना और आसपास के क्षेत्रों के राजवंश यहां आकर बस गए। और अन्होनें अपनी रियासतें स्थापित कीं इन राजवंशों ने यहा के स्थानीय लोगों को सभ्य-संस्कृत बनाया और भारतीय चित्रकला की अद्धितीय धरोहर पहाड़ी कला और स्थापत्य कला को प्रश्रय दिया।
अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि.मी. में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 1954 में जब ‘ग’ श्रेणी की रियासत बिलासपुर को इसमें मिलाया गया, तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी. हो गया। सन 1966 में इसमें पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि.मी. हो गया। आज हिमाचल प्रदेश को न केवल पहाड़ी क्षेत्रों के विकास का आदर्श माना जाता है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में इस प्रदेश ने उल्लेखनीय विकास किया है।
यह प्रदेश उत्तर में यह जम्मू और कश्मीर से सटा है और दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र हैं। दक्षिण और पश्चिम में यह राज्य क्रमश: हरियाणा और पंजाब से जुड़ा है और इसके पूर्व में तिब्बत की सीमा है।
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