पंजाब सरकार ने इस सीजन के 10 अप्रैल से मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जाने वाली फसल के भुगतान में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) व्यवस्था लागू करने पर सहमति दे दी है। अब सरकारी खरीद का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में किया जाएगा।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ लंबी बैठक के बाद कहा कि राज्य सरकार के पास केंद्र के निर्देश को लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस नई व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को आढ़तियों (मंडी कमीशन एजेंट) की बैठक बुलाई है।
पंजाब सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की तरफ से एमएसपी पर किसानों से चावल और गेहूं की खरीद करती है। फिलहाल पंजाब में किसानों को एमएसपी का भुगतान आढ़तियों के जरिए किया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में यह भुगतान सीधा किसान के खाते में भेजा जाता है। केंद्र सरकार ने डीबीटी व्यवस्था 2018 में लागू की थी, लेकिन पंजाब अभी तक सबसे बड़ी मंडी व्यवस्था होने का हवाला देकर इससे तीन बार छूट ले चुका है। देश में सबसे ज्यादा 3700 सहकारी मंडियां पूरे पंजाब में है।
आढ़ती पंजाब की मंडियों में विभिन्न सेवाएं प्रदान करते हैं। इसमें सरकारी गोदामों में फसल की सफाई, भराई, वजन तोलना और फसल को उतारना शामिल है। इन कार्यों के लिए सरकार उन्हें 2.5% कमीशन देती है।
पंजाब राज्य में लगभग 28,000 पंजीकृत आढ़तिए हैं। उनमें से प्रत्येक के पास 20 से 200 किसान जुड़े हुए हैं। इससे पहले, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान आढ़तियों के खातों में आता थे। वे फिर किसानों को भुगतान करते थे। अब यह राशि सीधे किसानों के खाते में आएगी। यह तब होगा जब आढ़ती “pay now” पर क्लिक करेंगे। एमएसपी प्राप्त करने के 48 घंटे के भीतर उन्हें ऐसा करना होगा। यदि वे 48 घंटे के भीतर राशि हस्तांतरित करने में विफल रहते हैं, तो राशि सीधे 72 घंटों में किसानों के खाते में जमा हो जाएगी।
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