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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 11-14 अप्रैल के बीच “टीका उत्सव” मनाने की अपील की है। यह उत्सव महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के दिन शुरू हो रहा है।

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमनाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी।

वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था। उन्होंने जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी जिसके प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे।

उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला।

इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी। ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई।

ज्योतिबा फुले के विचार

  • स्वार्थ अलग-अलग रूप धारण करता है.कभी जाती का रूप लेता है तो कभी धर्म का।
  • भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान -पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे।
  • अच्छा काम पूरा करने के लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिये।
  • आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
  • शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है।
  • परमेश्वर एक है और सभी मानव उसकी संतान हैं।

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