वर्तमान में विश्व के लगभग 100 देशों में मरीजों का इलाज होम्योपैथी से किया जा रहा है। होम्योपैथी पद्धति जहां कोई नुकसान नहीं करती है, वहीं इसकी दवाओं की लागत भी मिनिमम होती है। आजकल कई जटिल बीमारियों से पीड़ित मरीजों का होम्योपैथी से इलाज किया जा रहा है। होम्योपैथी से जटिल से जटिल रोग को जड़ से मिटाया जा सकता है। प्रतिवर्ष विश्व होम्योपैथी दिवस पर कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें विशेषज्ञ भाग लेते हैं।
प्रतिवर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल को ही हुआ था। इस साल उनकी 266वीं जयंती है। विश्व होम्योपैथी दिवस केवल डॉ. हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में ही नहीं मनाया जाता बल्कि होम्योपैथी को आगे ले जाने की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों को समझने के लिए भी मनाया जाता है।
विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में जागरूकता पैदा करना तो है ही, साथ ही इसको आसानी से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना भी है।
केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के अनुसार, यह दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। होम्योपैथी चिकित्सा का ही एक वैकल्पिक रूप है, जो “समरूपता” दवा सिद्धांत पर आधारित है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार न केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझकर किया जाता है।
यह एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है, जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत भी नहीं पड़ती है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिये सुरक्षित है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद(सीसीआरएच) विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर 10 और 11 अप्रैल 2021 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘होम्योपैथी-एकीकृत चिकित्सा के लिए रोडमैप’ विषय पर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
इस सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों द्वारा अनुभवों का आदान-प्रदान करना है ताकि एकीकृत चिकित्सा में होम्योपैथी के प्रभावी और कुशल समावेशन के लिए रणनीतिक कार्यों की पहचान की जा सके।
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