भारत ने शुक्रवार को देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना के ’फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन’ पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी जहाज जॉन पॉल जोन्स पर फारस की खाड़ी से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर जाने के दौरान लगातार नज़र रखी गई थी तथा इसके भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र से गुजरने को लेकर देश की चिंताओं से अमेरिकी सरकार को राजनयिक माध्यम से अवगत करा दिया गया है।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार का समुद्र से जुड़े कानून के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि को लेकर स्पष्ट रूख है कि यह किसी अन्य देश को संबंधित तटीय देश की अनुमति के बिना विशेष आर्थिक क्षेत्र में या महाद्वीपीय क्षेत्र में सैन्य अभ्यास करने को अधिकृत नहीं करता है, विशेष तौर पर ऐसे अभ्यास जिसमें हथियार या विस्फोटक शामिल हों।
अमेरिकी नौसेना ने भारत की पूर्वानुमति के बिना बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू कर दिया। अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर की ओर से जारी बायन में कहा गया है कि मिसाइल भेदी यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया।
विशेष आर्थिक क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं। भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया है।
भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिये उससे पूर्वानुमति लेनी होती है। लेकिन अमेरिकी बयान में दावा किया गया है कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप शुरू किया गया है।
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