इतिहासकार और साहित्यकार शरद पगारे के उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ को केके बिड़ला फाउंडेशन के प्रतिष्ठित व्यास सम्मान (वर्ष 2020) के लिए चुना गया है। इस सम्मान के तहत चार लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किया जाता है।
5 जुलाई, 1931 को खंडवा (मप्र) में जन्मे शरद पगारे ने इतिहास में एमए, पीएचडी की पढ़ाई की हैं। वे शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकाक में अतिथि प्राचार्य के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। शरद पगारे के अब तक पांच उपन्यास, छह कहानी संग्रह, दो नाटक व शोध प्रबंध प्रकाशित हुए हैं।
व्यास सम्मान साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है। इस पुरस्कार को 1991 में के के बिड़ला फाउंडेशन ने शुरु किया था। इस पुरस्कार में 4 लाख रुपए नकद प्रशस्ति पत्र, स्मृृत चिन्ह प्रदान किए जाते हैै हिन्दी की कोई भी साहित्यिक कृति इस पुरस्कार की पात्र हो सकती है। वर्ष 1991 में रामविलास शर्मा को पहला व्यास सम्मान प्रदान किया गया था। 1992 में शिव प्रसाद को दूसरा व्यास सम्मान दिया गया।
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