छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में धर्मपाल सैनी एक ऐसे शख्स है जो आएं दिन सरकार और नक्सलियों के बीच संवाद की राह बनाते हैं। उनके ही प्रयासों से बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान अगवा किए गए सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई हो सकी है।
बस्तर के ताऊजी या फिर बस्तर के गांधी कहलाने वाले धर्मपाल सैनी को सरकार की ओर से 1992 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। 6 दशकों से बस्तर के लिए समर्पित धर्मपाल सैनी का आदिवासियों और नक्सलियों के बीच भी सम्मान है।मूलत: मध्य प्रदेश के धर्मपाल वर्ष 1976 में बस्तर आए और यहीं के होकर रह गए, उनके स्टूडेंट्स और स्थानीय लोग उन्हें ताऊजी कहकर बुलाते हैं। एथलीट रहे धर्मपाल सैनी ने अब तक बस्तर में 2 हजार से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किए हैं।
धर्मपाल सैनी के आने से पहले तक बस्तर में साक्षरता का ग्राफ 10 प्रतिशत भी नहीं था। जनवरी 2018 में ये बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया, जबकि आसपास के आदिवासी इलाकों का साक्षरता ग्राफ अब भी काफी पीछे है। वर्तमान में बहुत सी पूर्व छात्राएं अहम प्रशासनिक पदों पर काम कर रही हैं। बालिका शिक्षा में इसी योगदान के लिए धर्मपाल सैनी को साल 1992 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।
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