इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारतीय रेलवे ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विश्व के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज के दोनों सिरों की आर्क को जोड़ दिया गया। उधमपुर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट के तहत यह पुल जम्मू संभाग के रियासी में चिनाब नदी पर बना है। इस ब्रिज को भारत के सिविल इंजीनियरिंग का मास्टर कहा जा रहा है। इस ब्रिज को बनाकर कर भारत ने विश्व को अपनी इंजीनियरिंग का लोहा मनवाया है।
आर्क गणित/इंजीनियरिंग का शब्द है जिसका मतलब परवलय या चंदा के आकार का कोई निर्माण या वस्तु होता है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आर्क ब्रिज का प्रयोग वैसी जगहों पर किया जाता है जो पहाड़ी हो या नदी के क्षेत्र हो। इन इलाकों में बीच के पायें/खंभे बनाना संभव नहीं होता है। जिसके लिए ब्रिज को आर्क बनाया जाता है। अगर ऐसे क्षेत्रों में ब्रिज बिना आर्क किये बनाएं जाएंगे तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाएगीं। ऐसे निर्माण कार्य में जब वाहन पुल से गुजरता है तो भार स्पेशन ले लेता है, पुल पर चल वाहनों का भार कई हिस्सों में विभाजित हो जाता है। जिससे पुल क्षतिग्रस्त नहीं हो पाता।
1315 मीटर की लंबाई वाले पुल में 467 मीटर का मेन आर्क स्पैन है, जो अब तक बनी किसी भी ब्रॉड गेज लाइन का सबसे लंबा आर्क स्पैन है। इस प्रोजेक्ट में कुल 38 टनल हैं, जिसमें सबसे लंबी टनल की लंबाई 12.75 किलोमीटर है। आजादी के बाद भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा, जो विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन नमूना पेश करेगा।
बारामुला रेल लिंक पर चिनाब आर्क ब्रिज की लंबाई 467 मीटर है। नदी के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टावर व कुतुबमीनार की ऊंचाई से अधिक है। इसमें 26 बड़े और 11 छोटे पुल हैं। 37 पुलों की कुल लंबाई 7 किमी है।
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