भारत का एक प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का 41वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। चार दशकों में पार्टी ने लोकसभा में 2 सीटों से 303 सीटों का लंबा सफर तय किया है। अटल-आडवाणी की जोड़ी से मोदी-शाह की जोड़ी तक पार्टी ने हर दशक में नई उपलब्धि हासिल की। इसमें राम जन्मभूमि आंदोलन ने भी पार्टी की मदद की, जिसका परिणाम पिछले साल अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर के भूमिपूजन के तौर पर सामने आया।
इस वर्ष स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पार्टी कार्यकर्ता देशभर के सभी मतदान केंद्रों पर पार्टी के दर्शन, संस्कृति और नीतियों पर संवाद सत्र का आयोजन करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार पर भारत के चुप रहने पर जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने का विरोध किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
1967 में भारतीय जनसंघ एवं दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कई राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार टूटा और कांग्रेस को राज्यों में हार मिलनी शुरू हुई। 1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल खत्म कर चुनाव कराने का फैसला किया तो जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी कांग्रेस-विरोधी दल एकजुट हुए और ‘जनता पार्टी’ बनाई। भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय 1 मई 1977 को हुआ।
जनता पार्टी का प्रयोग ज्यादा दिन नहीं चला। आपसी प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई। कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखने वाले जनता पार्टी में नहीं रहेंगे। तब 6 अप्रैल 1980 को नए संगठन के तौर पर भारतीय जनता पार्टी बनी। अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। 1984 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांंधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर थी और भाजपा सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
1989 में बोफोर्स और अन्य मुद्दों के चलते भाजपा आगे बढ़ी और तब उसके पास 85 सीटें थीं। इसी साल पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन दिया। लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथयात्रा शुरू की। इसके बाद तो पार्टी को मिलने वाला समर्थन बढ़ता ही गया। उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन ने जोर पकड़ा तो 1991 में पार्टी की सीटें बढ़कर 120 हो गईं। 1993 में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के वोट प्रतिशत बढ़े। 1995 में आंध्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी कमल खिला।
1996 में भाजपा ने 161 सीटें जीतीं और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, पर बहुमत नहीं होने से 13 दिन में ही सरकार गिर गई। 1998 के मध्यावधि चुनावों में भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ NDA बनाया और सत्ता में आई। 1999 में अन्नाद्रमुक ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। अक्टूबर-1999 में NDA ने 303 सीटें जीतीं और स्पष्ट बहुमत हासिल किया। भाजपा 183 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में इंडिया शाइनिंग का नारा दिया गया, फिर भी पार्टी सत्ता में नहीं आ पाई। कांग्रेस के 222 की तुलना में उसे 186 सीटें ही मिलीं। 2009 में भाजपा की सीटें घटकर 116 रह गईं।
2014 आम चुनाव के बाद भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू है। केन्द्र के साथ अधिकतर राज्यों में उसकी सरकारें है। राष्ट्रपति से लेकर अधिकतर राज्यों के राज्यपाल भाजपा के ही कैडर के है।दरअसल, 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ी और 282 सीटें जीतीं। गठबंधन के हिसाब से 543 में से 336 सीटों पर जीत हासिल की। नरेन्द्र मोदी 26 मई 2014 को देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। 1984 के बाद पहली बार किसी पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला था। इसके बाद भाजपा ने 2019 में 303 सीटों पर जीत हासिल की और इतिहास रच दिया। भाजपा का विजय अभियान अब भी जारी है।
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Very nice