कानपुर के रक्षा उद्यमी ने माइंस प्रोटेक्टिव व्हेकिल बनाए हैं। ये गाड़ियां बारूदी सुरंगों से निपटने के लिए मददगार साबित होंगी। भारतीय सेना ने 12 बुलेटप्रूफ गाड़ियों के ऑर्डर भी दे दिए हैं। ये गाड़ी छत्तीसगढ़ जैसे नक्सली इलाकों में काफी कारगर सबित होगी।
छत्तीसगढ़ और दूसरे नक्सली क्षेत्रों में बारूदी सुरंगे सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है। इससे निपटने के लिए कानुपर के रक्षा उद्यमी ने माइंस प्रोटेक्टिव व्हेकिल बनाए हैं। जिनकी सप्लाई छत्तीसगढ़ पुलिस और अर्ध सैनिक बलों को की जाएगी। भारतीय सेना ने 12 बुलेटप्रूफ गाड़ियों के ऑर्डर भी दे दिए हैं।
चूंकि बारूदी सुरंगे तीर की रफ्तार से बिल्कुल सीधी फटती है। इसी वजह से वाहन आसमान की तरफ हवा में उछलता है। लेकिन जब माइंस प्रोटेक्टिव वेहिकिल बारूदी सुरंग के उपर से गुजरता है तो विस्फोट को दो हिस्सों में बांटकर 45 डिग्री में मोड़ देता है। इससे धमाके की ताकत एक जगह न होकर बिखर जाती है। जिससे ब्लास्ट का दबाव 20 हजार प्रति वर्ग सेमी. से घटकर 250 प्रति वर्ग सेंमी हो जाता है।
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