सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर बनेगा। यह देश में ड्राइविंग लाइसेंस का मिसयूज रोकने के लिए किया जा रहा है। इसे 31 मार्च से ही ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लागू किया जा रहा है।
अधिकतर राज्यों के ड्राइविंग लाइसेंस नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के सारथी पोर्टल पर हैं, लेकिन नेशनल रजिस्टर आने के बाद सभी राज्यों से कहा जा रहा है कि वह अगले कुछ महीनों में सभी पुराने ड्राइविंग लाइसेंस को ऑनलाइन करें।
सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख मौतें होती हैं। इनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं ड्राइवर की गलती के कारण होती हैं। इस रजिस्टर में उन लोगों के नाम के लिए अलग सेक्शन होगा जिनके ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त हो चुके है और यह रजिस्टर उन्हें रेड-फ्लैग करेगा। लापरवाह ड्राइवर्स को सबक सिखाने के लिए सरकार अब उन लोगों के नाम पब्लिक करने की सोच रही है, जिनके लाइसेंस जब्त किए हैं, ऐसे लोगों को ‘खतरनाक ड्राइवर’ कहकर नाम पब्लिक किए जाने की योजना है।
अब डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन की भी इजाजत दे दी गई है। अभी तक ये जरूरी होता था कि फुल्ली बिल्ट व्हीकल के मामले में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में जांच के लिए गाड़ी ले जानी होती थी। नए नियम से गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज होगी। साथ ही गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का रीन्यूअल 60 दिन एडवांस में किया जा सकेगा। अस्थाई रजिस्ट्रेशन की सयमसीमा को बढ़ाकर 6 महीने कर दिया गया है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की पात्रता और नियम प्रदान किए गए हैं। इस अधिनियम के अनुसार, जब कोई व्यक्ति लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो मूल ड्राइविंग और यातायात नियमों पर एक सैद्धांतिक परीक्षण आयोजित किया जाना चाहिए।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 130 एक पुलिस अधिकारी को वाहन से संबंधित दस्तावेज मांगने की अनुमति देती है। पूछे जाने पर, ड्राइवर को पुलिस स्टेशन या संबंधित विभाग में पंद्रह दिनों के भीतर दस्तावेजों को प्रस्तुत करना पड़ता है।
अप्रैल 2018 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक्सप्रेसवे पर अधिकतम गति 120 किमी/घंटा, राष्ट्रीय राजमार्गों की गति सीमा 100 किमी/घंटा और शहरी सड़कों की गति सीमा M1 श्रेणी के वाहनों के लिए 70 किमी/घंटा तय की है। एम 1 श्रेणी के वाहन उन्हें कहा जाता है जिनमें आठ से कम सीटें होती हैं।
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