भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी थी जिन्होंने महज 19 वर्ष की उम्र में मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर ली। इनके संघर्षों भरे जीवन पर किताबें और फिल्में भी बन चुकी है।
आनंदी गोपाल जोशी
आनंदी गोपाल जोशी का असल नाम यमुना था। उनका जन्म 31 मार्च 1865 को महाराष्ट्र के कल्याण में हुआ था। मात्र 9 साल की उम्र में गोपालराव जोशी से इनकी शादी करा दी गई थी, जो कि विधुर होने के साथ ही उम्र में आनंदी से करीब 20 साल बड़े थे। शादी के बाद यमुना के पति ने उनका नाम बदलकर ‘आनंदी’ कर दिया। गोपालराव जोशी कल्याण में पोस्टल क्लर्क के पद पर थे।
शादी के बाद आनंदी की जिंदगी में जो बदलाव आए वो गोपालराव की वजह से ही आए। उन्होंने ने शादी के बाद अपनी पत्नी को पढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए और उस जमाने में महिला डॉक्टर बनाया जब कोई भारतीय महिला डॉक्टर बनने की कल्पना मात्र तक नहीं करती थी 16 साल की उम्र में अपने पति के प्रयासों से वो अमेरिका की पेन्सिलवेनिया वूमेंस मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई करने जा पहुंची।
आनंदी गोपाल जोशी पेन्सिलवेनिया वूमेंस कॉलेज से अपना मेडिकल कोर्स पूरा कर वर्ष 1886 में भारत की पहली महिला डॉक्टर बनकर लौटीं। जिस समय आनंदी भारत वापस आईं, उस समय उनकी उम्र केवल 19 साल थी। भारत आकर आनंदी का सपना महिलाओं के लिए एक शानदार मेडिकल कॉलेज शुरू करने का था, लेकिन उनका यह सपना आखिर सपना ही रह गया। भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 26 फ़रवरी को 134वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
जब वो डॉक्टर बनकर भारत लौटी तो उनकी लगातार सेहत खराब रहने लगीं। आनंदी टीबी से पीड़ित हो गई थी और 26 फ़रवरी, 1887 को महज़ 22 साल की बहुत छोटी उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
आनंदी गोपाल जोशी की मौत के बाद उनके जीवन पर एक उपन्यास ‘आनंदी गोपाल’ लिखा गया जो कि मूल रूप से मराठी भाषा में है, जिसका आगे चलकर कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ। उनकी बायोग्राफी पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम का टीवी सीरियल भी बन चुका है।
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