अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन करीब 40 भारतीय सामानों पर 25 फीसदी तक टैरिफ लगाने की तैयारी में है। ऐसा वह भारत द्वारा लगाए जाने वाले इक्विलाइजेशन लेवी अर्थात डिजिटल सर्विस टैक्स से के बाद कर रहा है। भारत ने वर्ष 2016 में समानता शुल्क (इक्विलाइजेशन लेवी) लागू किया था। ऑस्ट्रिया, इटली, स्पेन, तुर्की, ब्रिटेन में भी डिजिटल सर्विस टैक्स लागू हैं।
डिजिटल सर्विस टैक्स ऐसे राजस्व पर लागू होगा, जिसे अनिवासी डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा भारत में दी जाने वाली डिजिटल सेवाओं के माध्यम से अर्जित किया गया है। इन सेवाओं में डिजिटल प्लेटफाॅर्म सेवाएं, डिजिटल कंटेंट की बिक्री और डेटा से संबंधित सेवाएं आदि शामिल हैं। डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) की वर्तमान दर 2 फीसदी है। इस टैक्स का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि अनिवासी डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर्स, भारतीय डिजिटल बाजार में अर्जित राजस्व पर उचित कर अदा करें।
डिजिटल सर्विस टैक्स को गूगल टैक्स के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह पहले केवल ऑनलाइन विज्ञापन सेवा तक ही सीमित था और Google, Facebook जैसी विदेशी टेक कंपनियां इसके दायरे में आती थीं। मार्च 2020 में सरकार ने इसके दायरे को बढ़ाते हुए विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म समेत कई डिजिटल सेवाओं को भी इसमें शामिल कर दिया।
यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव का कहना है कि ऑस्ट्रिया, इटली, स्पेन, तुर्की, ब्रिटेन और भारत ने अमेरिका की डिजिटल कंपनियों के खिलाफ जो डिजिटल सर्विस टैक्स लगाया है, वह अंतरराष्ट्रीय टैक्स कानूनों के खिलाफ है। इससे अमेरिकी कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है। दरअसल USTR द्वारा ‘यूएस ट्रेड एक्ट, 1974’ (US Trade Act, 1974) की धारा 301 के तहत एक जांच की गई। USTR की रिपोर्ट में कहा गया कि DST अमेरिकी व्यवसायों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है क्योंकि विशेष रूप से भारत के घरेलू डिजिटल व्यवसायों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। साथ ही DST गैर-डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जा रही समान सेवाओं तक विस्तारित नहीं है। USTR ने ऐसी 119 कंपनियों की पहचान की है, जो इस टैक्स के दायरे में आएंगी। इनमें से 86 यानी 72 फीसदी कंपनियां अमेरिका की हैं।
भारत ने स्पष्ट किया कि DST किसी भी तरह से एक व्यवसाय के परिचालन के आकार या राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। DST मुख्य रूप से अमेरिकी कंपनियों पर लागू इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि भारतीय डिजिटल बाजार में अमेरिकी मूल की कंपनियों का ही प्रभुत्व रहा है। इसके अतिरिक्त भारत में स्थायी निवास वाली किसी भी कंपनी को इसके दायरे से बाहर इसलिए रखा गया है क्योंकि ऐसी कंपनियां पहले से ही भारत के स्थानीय कर कानूनों के अधीन हैं।
भारत के डिजिटल सर्विस टैक्स के जवाब में अमेरिका चुनिंदा भारतीय सामानों पर टैरिफ लगाने जा रहा है। इनमें झींगा मछली, बासमती चावल और सोने-चांदी के आइटम शामिल हैं। USTR के मुताबिक अमेरिका में भारतीय सामान पर उतनी ही ड्यूटी लगाई जाएगी, जितनी भारत डिजिटल सर्विस टैक्स के रूप में अमेरिका से कलेक्ट करेगा। अनुमान के मुताबिक यह राशि सालाना 5.5 करोड़ डॉलर होगी।
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