दिल्ली में लेफ्टिनेंट गवर्नर यानि एलजी और मुख्यमंत्री के अधिकारों को स्पष्ट करने वाले विधेयक को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते है यह बिल अब कानून बन गया है। गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी (अमेंडमेंट) बिल, 2021 (GNCTD बिल) को हाल ही में संसद ने मंजूरी दी थी। दिल्ली सरकार इस कानून को संविधान के खिलाफ बता रही है और इसे अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया है।
राज्यसभा ने 25 मार्च को गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2021 को विपक्ष के हंगामे के बीच मंजूरी दे दी थी। वहीं लोकसभा में 23 मार्च को यह बिल पास हुआ था। बिल में प्रावधान है कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर की ‘राय’ लेगी।
बिल के मुताबिक दिल्ली विधानसभा के बनाए किसी भी कानून में सरकार से मतलब एलजी से होगा। एलजी को सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा की जानकारी देनी होगी। यदि एलजी और मंत्री परिषद के बीच किसी मामले पर मतभेद है तो एलजी उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। एलजी विधानसभा से पारित किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देंगे जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर हैं। वह इसे राष्ट्रपति के विचार करने के लिए रिजर्व रख सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के अपने फैसले में भी साफ किया था कि दिल्ली सरकार जो भी फैसला लेगी, उसके बारे में वह एलजी को जानकारी देगी। लेकिन एलजी की सहमति जरूरी नहीं है। हालांकि, अब इस बिल के तहत एलजी को यह अधिकार मिल गया है कि अगर वह मंत्रिपरिषद के किसी फैसले से सहमत नहीं हैं तो मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।
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