लोकतंत्र की जननी, धर्मों की उद्गमस्थली, महापुरुषों की जन्मस्थली, वीरों की कर्मभूमि, ज्ञान, कर्म, संस्कृति, सद्भावना और समरसता की पावन भूमि बिहार की 22 मार्च को स्थापना दिवस मनाई जाती है। बिहार के मान-सम्मान और स्वाभिमान की ख्याति पूरी दुनिया में फैलाने के लिए पहली बार 2010 में ‘बिहार दिवस’ का आयोजन शासन—प्रशासन के स्तर से शुरू हुआ। ‘जल-जीवन-हरियाली’ थीम के साथ बिहार स्थापना दिवस 2021 पर हालांकि कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नही हो रहा है।
वर्ष 2021 के बिहार दिवस की थीम/विषय ‘जल-जीवन-हरियाली’ है।
हर वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस के मौके पर पर तीन दिनों तक कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। इस मौके पर देश भर के बड़े कलाकार, गजल गायक और नामचीन हस्तियां भी अपने कार्यक्रम को प्रत्तुत किया करते रहे हैं। पटना के गांधी मैदान और इसके पास ही स्थित ज्ञान भवन और श्रीकष्ण मेमोरियल हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता था। जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर उनके मंत्रीमंडल के सदस्य और कई केंद्रीय मंत्री, विधायक और बिहार के जाने माने लोग शामिल होते थे। लेकिन 2020 और अब 2021 में भी कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं कराया जा रहा है। आनलाइन बिहार दिवस समारोह की शुरूआत मशहुर कवि सत्यनारायण द्वारा लिखित राज्यगीत से होगी।
विश्व का एकमात्र ऐसा व्यक्ति जिससे हर तरह का ज्ञान सीखा जा सकता है। जिसे रक्षक, ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति, धर्म रक्षा की कामधेनु कहा जाय तो गलत नहीं होगा। ये सिख धर्म के 10 गुरु गोविंद सिंह जी महाराज थे। जिनको पुत्र, पिता, गुरू, लेखक, त्यागी, रक्षक सबकी भूमिका निभाई।
बिहार की धरती पर ही ज्ञान प्राप्त कर सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बने। बोधगया के निरंजना नदी के तट पर कठोर तपस्या के बाद ही सिद्धार्थ की साधना पूर्ण हुई। जिस पीपल पेड़ के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान का बोध मिला वह आज भी बोधि वृक्ष के नाम से पूजा जाता है।
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की पवित्र जन्मभूमि होने का गौरव बिहार के वैशाली के ग्राम कुंडलपुर को प्राप्त है। अहिंसा और सत्य का ज्ञान दुनिया भर में फैलाने वाली भगवान महावीर की मोक्ष भूमि भी बिहार में ही पावापुरी में है।
प्राचीन भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के आविष्कारों का गवाह बिहार की धरती रही है। ढेर सारे ऐसे प्रमाण भी मिले हैं, जिसमें यह कहा गया है कि आर्यभट्ट का जन्म बिहार में हुआ है और उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। खगोल विज्ञान, गोलीय त्रिकोणमिति, अंकगणित, बीजगणित सहित गणित व खगोल विज्ञान के ढेर सारे आविष्कारों को आर्यभट्ट ने बिहार की धरती से ही दुनिया तक पहुंचाया।
प्राचीन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राजा माने जाने वाले चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य का सूत्रपात बिहार के पाटलिपुत्र की धरती से ही हुआ। पाटलिपुत्र ही मौर्य साम्राज्य की राजधानी भी रही है। नंद वंश का नाश करने का संकल्प लेकर चंद्रगुप्त को शासन की बागडोर तक पहुंचाने वाले आचार्य चाणक्य की भूमि होने का गौरव भी बिहार को है।
बिहार के पाटलिपुत्र को सम्राट अशोक के राज-पाट की राजधानी होने का भी गौरव हासिल है। कलिंग छोड़कर संपूर्ण भारत वर्ष सहित आज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार तक अशोक का शासन हुआ करता था। कहा जाता है अशोक का शासन उस समय से आज तक का सबसे विशाल साम्राज्य रहा है।
आजादी के पहले संग्राम के नायक बने बाबू कुंवर सिंह की जन्मभूमि भी बिहार के ही भोजपुर का जगदीशपुर गांव है। 80 वर्ष की उम्र में भी लड़कर जीत का जज्बा रखने वाले कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के दांत खट्टे करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों की फौज के छक्के छुड़ाने वाले कुंवर सिंह ने अंग्रेजों की गोली लगने के बाद खुद ही तलवार से अपने हाथ काट लिए थे।
पहाड़ों का सीना चीरकर रास्ते बनाने का दम भी बिहार में है। माउंटेनमैन के नाम से दुनिया में चर्चित हुए दशरथ मांझी बिहार के गया के गहलौर गांव के थे। केवल एक हथौड़ा और छेनी से अकेले ही उन्होंने 360 फीट लंबे, 30 फीट चौड़े और 25 फीट ऊंचे पहाड़ को काटकर सड़क बना डाली।
गया के लौंगी भुइयां ने 20 वर्षों में अकेले दम करीब पांच किलोमीटर लंबे पईन का निर्माण कर दिया, जिससे आज सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई की जा रही है। यह काम उन्होंने अकेले किया।
पहले बंगाल से अलग होकर नया प्रदेश बनने के बाद 1935 में ओड़िशा का अलग होना और फिर 2000 में झारखंड का अलग हो जाने के बावजूद बिहार ने कई उपलब्धियां हासिल की है।
महिलाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में पंचायती राज संस्थानों में आधी आबादी/महिलाओं को आरक्षण देने तथा सरकारी नौकरियों में उन्हें 33 फीसदी सीटें सुरक्षित करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने वाला भी बिहार देश का इकलौता राज्य है। इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2016 में लागू किया गया था।
एशिया का अनोखा ग्लास ब्रिज राजगीर में बन कर तैयार है। बिहार में चंपारण के तराइ इलाके से लेकर राजगीर, नालंदा, पावापुरी, बोधगया, बिहार म्यूजियम, सभ्यता द्वारा सहित कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण के केंद्र हैं।
आजादी के बाद के आरंभिक दिनों में ही बिहार ने जमींदारी उन्मूलन कानून बनाया। पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री केबी सहाय की अगुवाइ में यह काम धरातल पर उतरा।
भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति को जब्त करने और उनमें सरकारी स्कूल खुलवाने, विधायक फंड की समाप्ति, पर्यावरण की रक्षा के लिए जल जीवन हरियाली योजना शुरू करने, शराबबंदी और बाल विवाह एवं दहेज मुक्त विवाह जैसे सामाजिक आंदोलन के पक्ष में विशाल मानव श्रृंखला बनाये जाने का रिकार्ड भी बिहार के ही नाम है। ब्यूरोक्रेसी के क्षेत्र में टॉप पर रहने वाले बिहार के अधिकारी भी भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख पदों को सुशोभित कर रहे हैं। यहीं नहीं, कई राज्यों के मुख्य सचिव व डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बिहारी मूल के ही अधिकारी काबिज हैं।
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