भारत में न्याय का आधार न्यायालयों/कोर्ट को माना जाता हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में अगले माह मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के रिटायर होने के साथ ही छह न्यायाधीशों की कमी हो जाएगी। ये पहला मामला होगा, जब सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीशों की 6 रिक्तियां होंगी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश समेत अधिकृत न्यायधीशों की संख्या 34 है।
बीते दिनों जस्टिस इंदु मल्होत्रा रिटायर हो गईं और अगले माह 23 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे रिटायर होंगे। जस्टिस मल्होत्रा देश की पहली ऐसी महिला अधिवक्ता हैं जो अधिवक्ता से सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। जस्टिस बोबडे के रिटायरमेंट के बाद सीजेआई के तौर पर वरिष्ठ जज जस्टिस एनवी रमना का नाम सामने आ रहा है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि नियमानुसार मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर अगले वरिष्ठतम जज को देश का मुख्य न्यायाधीश घोषित या नियुक्त कर दिया जाता है।
जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में पांच वरिष्ठ जजों के चयन मंडल द्वारा किया जाता हैं। जिसे कॉलेजियम कहा जाता है। कॉलेजियम की सिफारिश पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ जजों को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया जाता है।
किसी भी जज/न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया काफी जटिल है जिसकारण इसमें काफी समय लगता है। हाईकोर्ट में नियुक्तियों के मामले में ये जटिलता और ज्यादा है। सरकार को कई स्तरों पर जांच करनी पड़ती है और कई संवैधानिक निकायों जैसे मुख्यमंत्री और राज्यपाल से परामर्श लेना पड़ता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए सिर्फ खुफिया ब्यूरो यानी आईबी की जांच और उनके पैरेंट हाईकोर्ट के वे जज जो पहले से सुप्रीम कोर्ट में हैं, उनसे परामर्श लेना पड़ता हैं। वहीं, सरकार को सुप्रीम कोर्ट में राज्यीय प्रतिनिधित्व का भी ख्याल रखना पड़ता है।
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