उत्तराखंड के गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा विधायक दल की बैठक इसपर सहमति बन गयी हैं। पिछले कई दिनों से चल रही राजनीतिक उठापटक के बाद कल शाम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक खत्म होने के बाद तीरथ सिंह रावत के नाम का ऐलान किया।
तीरथ सिंह रावत, फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। वह चौबट्टाखाल से भूतपूर्व विधायक (2012-2017) हैं। वर्तमान में तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ—साथ गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी हैं। इन्हें वर्ष 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुना गया था। इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए। इसके बाद प्रदेश चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2012 में चौबटाखाल विधान सभा से विधायक निर्वाचित हुए और वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने।
इसके पहले वर्ष 1983 से 1988 तक वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। वह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए और विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष बनाये गए।
53483 वर्ग किलोमीटर में फैले उत्तराखंड का उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में केदारखंड, मानसखंड और हिमवंत के रूप में हुआ है। इस क्षेत्र पर कुषाणों, कुनिंदों, कनिष्क, समुद्रगुप्त, पौरवों, कत्यूरियों, पालों, चंद्रों, पंवारों और ब्रिटिश शासकों ने समय-समय पर राज किया है। इसके पवित्र स्थलों और तीर्थस्थलों के कारण बहुधा इसे देवताओं की धरती – ‘देवभूमि’ कहा जाता है।
ये भी पढ़ें— Quiz : फरवरी 2021 टॉप 10 करेंट अफेयर्स क्विज
वर्तमान उत्तराखंड राज्य पहले आगरा और अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत 1902 में अस्तित्व में आया। सन 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा। जनवरी 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया। 9 नवंबर, 2000 को भारत का 27वां राज्य बनने से पूर्व तक उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना रहा। विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला/अर्द्ध कुंभ मेला हरिद्वारा में प्रति बारहवें/छठे वर्ष के अंतराल में मनाया जाता है।
हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमालय प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश है।
ये भी पढ़ें— National War Memorial : राष्ट्रीय युद्ध स्मारक विशेष
ये भी पढ़ें— International Women’s Day : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?, वर्ष 2021 की थीम
ये भी पढ़ें— SBI : जानें भारतीय स्टेट बैंक की लैंड परचेज योजना के बारे में
ये भी पढ़ें— JUVENILE : किशोर न्याय अधिनियम 2015 के बारे में विस्तार से, केन्द्र सरकार का संशोधन