बिग्रेड मैदान कोई और नहीं कोलकाता में स्थित फोर्ट विलियम के सामने वाला मैदान हैं। अंग्रेजों ने 1757 में प्लासी का युद्ध जीता। इसके एक साल बाद कोलकाता में अपनी विजय की यादगार और अंग्रेज सेनाओं के ठहरने के लिए फोर्ट विलियम बनवाया गया। इसी फोर्ट विलियम के सामने का मैदान सेनाओं के परेड के लिए इस्तेमाल होने लगा। बाद में यही मैदान ब्रिगेड परेड ग्राउंड या ब्रिगेड मैदान नाम से मशहूर हुआ।
भारत की आजादी से पहले भी इस मैदान में राजनीतिक आयोजन होते रहे लेकिन साल 1955 में वामपंथी दलों ने सोवियत नेता निकोल एलेक्जेंड्रोविच और ख्रुश्चेव का स्वागत किया। इसके बाद सीपीएम इसमें रैलियां करती रही 1978 में हुई इसी तरह की एक रैली का जिक्र अंग्रेज पत्रकार जॉफ्री मूरहाउस ने किया है।
साल 1972 में पाकिस्तान से आजादी पाने के बाद बांग्लादेश के नए पीएम मुजीब उर रहमान और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिग्रेड ग्राउंड पर संयुक्त सभा की। उस समय करीब 10 लोग उन्हें सुनने के लिए जुटे थे।
देश में जब इमरजेंसी लगी उस समय गैर कांग्रेसी दलों ने यहां जबर्दस्त रैलियां कीं। बोफोर्स घोटाले को मुद्दा बनाकर वीपी सिंह ने बड़ी जनसभा की। इसमें भी कांग्रेस विरोधी दलों का जमावड़ा था। इसके बाद 1992 में वह ऐतिहासिक रैली हुई जिसमें कांग्रेस ने सीपीएम के खिलाफ ममता को आगे किया और ममता ने बदला नहीं बदलाव का नारा दिया। अब इस मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली होने वाली हैं।
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