आज 25 फरवरी 2021 को देश के वीरों के सम्मान में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की दूसरी वर्षगांठ मनाई गई। इस अवसर पर भारत के चीफ आफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत ने युद्ध स्मारक में श्रद्धांजली अर्पित की। यह स्मारक आज़ादी के बाद देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में तैयार किया गया है। इसके पहले तक दिल्ली में सिर्फ एक ही युद्ध स्मारक (इंडिया गेट) था, लेकिन वो प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए 84 हज़ार सैनिकों की याद में अंग्रेज़ों ने बनवाया था। इसके बाद 1971 की लड़ाई में शहीद हुए करीब 4 हज़ार सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) बनाई गई। लेकिन ये पहला मौका है जब स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र के लिए अपनी जान देने वाले जवानों के सम्मान में यह स्मारक बनाया गया।
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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की 10 विशेषताएं
- 2014 में इसे बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की और 25 फरवरी, 2019 तक इसे तैयार कर लिया गया।
- इस मेमोरियल में अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र, 4 चक्र हैं।
- इनमें से अमर चक्र पर 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जलेगी।
- नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे।
- इस मेमोरियल में शहीद हुए 26 हजार सैनिकों के नाम हैं।
- 1947-48, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है।
- सुरक्षा चक्र में 600 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।
- नेशनल वॉर मेमोरियल के पास ही 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं की कांस्य से प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक 40 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस युद्ध स्मारक का निर्माण 176 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
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प्रोजेक्ट की शुरूआत
इस प्रोजेक्ट के लिए 18 दिसम्बर, 2015 को मंज़ूरी दी गयी। इस प्रोजेक्ट का कार्य फरवरी, 2018 में शुरू हुआ। एक वर्ष के भीतर ही यह निर्माण कार्य पूरा हो गया। इस युद्ध स्मारक में परम योद्धा स्थल में 21 परम वीर चक्र विजेताओं की मूर्तियाँ भी बनायीं गयी हैं।
एक नजर में
- 25 फरवरी, 2020 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की पहली वर्षगाँठ मनाई गयी थी।
- इस युद्ध स्मारक का उद्घाटन 25 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेनद्र मोदी द्वारा किया गया था।