बिहार के सहरसा शहर के कोचिंग डिपो के पास समस्तीपुर मंडल का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट बनकर तैयार हो गया है। इसमें महज पांच मिनट में एक ट्रेन की सभी 24 बोगियों के बाहरी हिस्से की धुलाई और सफाई हो जाएगी।
इस सफाई कार्य में लगने वाले 80 प्रतिशत पानी का दोबारा उपयोग हो पाएगा। एक कोच की धुलाई और सफाई में लगने वाली 250 से 300 लीटर पानी की बजाय मात्र 50 से 60 लीटर पानी लगेंगे। उसमें से भी 80 प्रतिशत पानी रिसाइकिल होकर दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगने से पानी की बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा।
सहरसा-नई दिल्ली वैशाली स्पेशल एक्सप्रेस की धुलाई और सफाई का काम करते हुए टेस्टिंग किया गया। इस कार्य के लिए 30-30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट(ईटीपी) लगाया गया है। जिसके जरिए धुलाई और सफाई में लगे पानी को ट्रीटमेंट करते दोबारा उपयोग में लाया जाएगा।
सहरसा स्टेशन पर क्विक वाटरिंग सिस्टम के तहत स्काडा लगाने का काम किया जा रहा है। स्काडा सिस्टम से पता चलेगा कि कोच में कितना पानी भरा गया है। समस्तीपुर मंडल का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट सहरसा में बना है। जयनगर में दूसरा प्लांट निर्माण का काम चल रहा है।