भारत सरकार ने अब तक केवल एक ही उद्योगपति को भारत रत्न से सम्मानित किया है और वह रतन टाटा के ही परिवार से आते हैं। उनका नाम हैं जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा। उन्हें 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। जेआरडी टाटा 53 साल तक टाटा सन्स के चेयरमैन रहे और वह इस ग्रुप के सबसे सफल चेयरमैन माने जाते हैं। जेआरडी ने सिर्फ 34 वर्ष की उम्र यानी 1938 में टाटा सन्स के चेयरमैन का पद संभाला था और वह इस पद पर 1991 तक बने रहे। टाटा ग्रुप को बुलंदियों पर पहुंचाया
जेआरडी के कार्यकाल में टाटा ग्रुप की ग्रोथ 50 गुना तक बढ़ी। जेआरडी के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 500 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था। मौजूदा समय में टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य करीब 200 अरब डॉलर है। अपने कार्यकाल में उन्होंने टाटा ग्रुप में 14 नई कंपनियां शुरू की। टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट, टाटा ग्लोबल बेवरेजिस और टाइटन जैसी सफल कंपनियों की शुरुआत जेआरडी ने ही की थी।
जेआरडी को भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री का जनक भी कहा जाता है। 1929 में वह भारत में ऐसे पहले व्यक्ति बने थे जिन्हें हवाई जहाज चलाने के लिए लाइसेंस मिला। इसके बाद 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की थी जिसे 1946 में एयर इंडिया का नाम दिया गया है। अभी एयर इंडिया भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी है और दिलचस्प बात है कि टाटा ग्रुप इसे खरीदने की होड़ में शामिल है।
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जेआरडी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर 1956 में टाटा प्रशासनिक सेवा की शुरुआत की थी जिसका मकसद टाटा ग्रुप में युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें लीडरशिप के लिए तैयार करना था। टाटा ने उद्यमिता के साथ अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कई काम किए। टाटा ने ही सबसे पहले 8 घंटे की ड्यूटी तय की। उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए फ्री मेडिकल सुविधा और भविष्य निधि योजना की भी शुरुआत की। किसी कर्मचारी के साथ दुर्घटना हो जाने की स्थिति में टाटा ने सबसे पहले मुआवजा देने की पहल की।
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